
‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ बहुत सशक्त रचना है। इस रचना को हरिवंश राय बच्चन की रचना के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है।
बच्चन रचनावली लिखने वाले अजीत कुमार ने सम्पर्क करने पर बताया, ‘भाई, यह बच्चन रचनावली में नहीं है पर एकाध जगह इसे उनके नाम से जुड़ी मैंने भी पाया, तबसे पता करने की कोशिश कर रहा हूँ।’
अमेरिका से डॉ. कविता वाचक्नवी ने जोर देकर कहा था कि यह रचना सोहनलाल द्विवेदी की ही है। 22 फरवरी 2010 को देवमणि पाण्डेय ने अपने ब्लॉग पर इस बारे में इस लिखा था –
महाराष्ट्र पाठ्य पुस्तक समिति के अध्यक्ष डॉ. रामजी तिवारी ने बताया कि लगभग 20 साल पहले अशोक कुमार शुक्ल नामक सदस्य ने सोहनलाल द्विवेदी की यह कविता वर्धा पाठ्यपुस्तक समिति को लाकर दी थी। तब यह कविता छ्ठी या सातवीं के पाठ्यक्रम में शामिल की गई थी।
समिति के रिकार्ड में रचनाकार के रूप में सोहनलाल द्विवेदी का नाम तो दर्ज है मगर एक रिमार्क लगा है कि ‘पता अनुपलब्ध है।’ इसके कारण कभी इसकी रॉयल्टी नहीं भेजी गई। कानपुर के मूल निवासी सोहनलाल द्विवेदी का नाम ऐसे कवियों में शुमार किया जाता है जिन्होंने एक तरफ़ तो आज़ादी के आंदोलन में सक्रिय भागीदरी की और दूसरी तरफ देश और समाज को दिशा देने वाली प्रेरक कविताएं भी लिखीं।
मुम्बई में चाटे क्लासेस ने अपने विद्यार्थियों के उत्साहवर्धन के लिए इस कविता का सर्वाधिक इस्तेमाल किया। ‘मैंने गाँधी को नहीं मारा’ फ़िल्म में भी इस कविता का बहुत सुंदर फ़िल्मांकन किया गया। अगर हम इस कविता के साथ सोहनलालद्विवेदी का नाम जोड़ सकें तो यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’
Dr hrivansh ray