पाठ 4 झाँसी की रानी की समाधि पर
प्रसंग सहित व्याख्या
इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी।
जलकर जिसने स्वतंत्रता की, दिव्य आरती फेरी।।
यह समाधि यह लघु समाधि है, झाँसी की रानी की।
अंतिम लीला स्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की।।
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ में से ली गई हैं। जिसमें उन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना लक्ष्मीबाई को याद किया है।
व्याख्या: कवयित्री का मानना है कि झाँसी की रानी की इस समाधि में राख की एक ऐसी ढेरी छिपी हुई है जिसने स्वयं जलकर आज़ादी की लड़ाई का आगाज़ किया था। यह छोटी सी समाधि है, झाँसी की रानी की समाधि है। यह उनके अंतिम युद्ध की वीरता का स्थान है। यह उस मर्दों के समान लड़ने वाली रानी लक्ष्मीबाई की समाधि है।
यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न विजय-माला-सी।
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति शाला-सी।।
सहे वार पर वार अंत तक, लड़ी वीर बाला-सी।
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला- सी।।
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ में से ली गई हैं। जिसमें उन्होंने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है।
व्याख्या: कवयित्री लिखती है कि इस स्थान के आस-पास वह (लक्ष्मीबाई) टूटी हुई विजय की माला के समान बिखर गई थी अर्थात् उनकी मृत्यु हुई थी। उनकी अस्थियाँ उसी समाधि में इकठ्ठी करके रखी गई हैं। यह उनकी याद की स्थली है। उन्होंने शत्रुओं के वार पर वार अंत समय तक सहन किए थे। वह एक वीरांगना के समान लड़ी थी। लक्ष्मीबाई स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में आहुति देकर चिता पर चढ़ गई और एक ज्वाला के समान चमक उठी।
बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से।
मूल्यवती होती सोने की भस्म, यथा सोने से।।
रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी।
यहाँ निहित है स्वतंत्रता की, आशा की चिनगारी।।
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘झांसी की रानी की समाधि पर’ नामक कविता में से ली गई हैं।इस कविता की कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी हैं जिन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की महान वीरता का वर्णन किया है। इन पंक्तियों में रानी की समाधि को देश की जनता के लिए प्रेरणा के रूप में दिखाया गया है।
व्याख्या: कवयित्री कहती है कि जब कोई वीर युद्ध क्षेत्र में अपना बलिदान दे देता है तो उसका आदर-सत्कार उसी प्रकार बढ़ जाता है। जैसे सोने की भस्म सोने से भी अधिक कीमती होती है। इसलिए कवयित्री को अब रानी से भी अधिक रानी की समाधि प्यारी है। क्योंकि यहाँ स्वतंत्रता प्राप्त करने की आशा रूपी चिंगारी छिपी हुई है।
4. इस से भी सुंदर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते।
उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते।।
पर कवियों की अमर गिरा में, इसकी अमिट कहानी।
स्नेह और श्रद्धा से गाती, है वीरों की बानी ।।
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘झांसी की रानी की समाधि पर’ कविता में से अवतरित की गई हैं। इनकी रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान इन पंक्तियों में झांसी की रानी के बलिदान का वर्णन करती हैं और उनकी समाधि के महत्त्व को बताती हैं।
व्याख्या: कवयित्री के अनुसार इस संसार में अनेक सुंदर समाधियाँ देखने को मिलती हैं। उनके संबंध में जो भी कहानियाँ होंगी, उसे आधी रात को छोटे-छोटे जीव ही गाते हैं। परंतु कवियों की अमर वाणी में झाँसी की रानी की समाधि की तो अमर कहानी कही जाती है। जिसे वीर अपने स्वर में अत्यंत श्रद्धा और स्नेह से गाते हैं।
बुंदेले हर बोलों के मुख, हमने सुनी कहानी।
खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी।।
यह समाधि यह चिर समाधि है, झाँसी की रानी की।
अंतिम लीला स्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की।।
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ में से ली गई हैं। जिसमें कवयित्री ने झाँसी की रानी के बलिदान के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त की हैं ।
व्याख्या: कवयित्री कहती है कि हमने बुंदेलखंड के यश का गान करने वालों के मुख से यह कहानी सुनी है कि वह मरदानी खूब डट कर लड़ी थी, वो झाँसी वाली रानी थी। उनकी समाधि लंबे समय तक बने रहने वाली समाधि है। यह झाँसी की रानी की समाधि है। उनके अंतिम युद्ध क्षेत्र की स्थली है। लक्ष्मीबाई वास्तव में ही मरदानी थी अर्थात् वह मर्दों की तरह युद्ध क्षेत्र में लड़ी थी।
(क) विषय-बोध
1 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए:
प्रश्न (i) समाधि में छिपी राख की ढेरी किसकी है?
उत्तर: समाधि में छिपी राख की ढेरी झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की है ।
प्रश्न (ii) किस महान लक्ष्य के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने अपना बलिदान दिया?
उत्तर: अंग्रेज़ों से देश को स्वतंत्र करवाने के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने अपना बलिदान दिया।
प्रश्न (iii) रानी लक्ष्मीबाई को कवयित्री ने ‘मरदानी’ क्यों कहा है?
उत्तर: रानी लक्ष्मीबाई को कवयित्री ने मरदानी इसलिए कहा है क्योंकि वह युद्ध क्षेत्र में मर्दों के सामान लड़ी थी।
प्रश्न (iv) रण में वीरगति को प्राप्त होने से वीर का क्या बढ़ जाता है?
उत्तर: रण में वीरगति को प्राप्त होने से वीर का मान बढ़ जाता है।
प्रश्न (v) कवयित्री को रानी से भी अधिक रानी की समाधि क्यों प्रिय है?
उत्तर: कवयित्री को रानी से भी अधिक रानी की समाधि इसलिए प्रिय है क्योंकि इससे उसे स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है।
प्रश्न (vi) रानी लक्ष्मी बाई की समाधि का ही गुणगान कवि क्यों करते हैं?
उत्तर: रानी लक्ष्मी बाई की समाधि का ही गुणगान कवि इसलिए करते हैं क्योंकि इसकी कहानी चिर स्थाई है जो कभी मिट नहीं सकती। उन्हें रानी के प्रति आदर,स्नेह और श्रद्धा है।
(ख) भाषा-बोध
1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए –
एकवचन बहुवचन
रानी रानियाँ
समाधि समाधियाँ
ढेरी ढेरियाँ
प्यारी प्यारियाँ
चिनगारी चिनगारियाँ
कहानी कहानियाँ
माला मालाएँ
शाला शालाएँ
चिता चिताएँ
ज्वाला ज्वालाएँ
बाला बालाएँ
गाथा गाथाएँ
2. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए –
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
सुतंत्रता स्वतंत्रता
लघू लघु
भगन भग्न
मुल्यवती मूल्यवती
कशुद्र क्षुद्र
श्रधा श्रद्धा
आरति आरती
स्थलि स्थली
आहूति आहुति
भसम भस्म
कवीयों कवियों
जंतू जंतु
लेखन: रजनी गोयल, हिंदी अध्यापिका, स (क).स.स. स्कूल, रामां, बठिंडा