पाठ 7 आ री बरखा !
अभ्यास उत्तर सहित
सप्रसंग व्याख्या
आ री बरखा…………………………………………….जल बरसा
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘आ री बरखा’ कविता में से ली गई हैं। इसके कविता के लेखक डॉ॰ राकेश कुमार बब्बर हैं। इसमें कवि ने वर्षा को धरती पर आने को कहा है।
व्याख्या: कवि वर्षा को बुलाते हुए कहते हैं कि हे वर्षा ! तुम आकर, सूरज की गर्मी से तप रही इस धरती को अपना शीतल जल बरसा दो। गर्मी के कारण पेड़ सूख गए हैं। गर्मी के कारण पक्षी चहचहाना भूल गए हैं। सारे फूल मुरझा गए हैं। हे वर्षा ! तुम काले बादलों को आकाश में बिखरा दो ताकि वर्षा हो सके। तुम्हारे बिना यह धरती सौंदर्य रहित हो गई है। तुम इसका शृंगार बनके आ जाओ । हे वर्षा ! तुम आकर, सूरज की गर्मी से तप रही इस धरती को अपना शीतल जल बरसा दो।
जहाँ कभी……………………………………………. बहती जल बरसा
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘आ री बरखा ‘कविता से ली गई हैं। इसके कविता के लेखक डॉ॰ राकेश कुमार बब्बर हैं। इन पंक्तियों में कवि ने वर्षा के बिना प्रकृति की दशा को बताया है और वर्षा को आने को कहा है ।
व्याख्या: कवि कहता है कि वर्षा के बिना जहाँ पर नदियाँ बहती थीं, अब वहाँ सिर्फ सूखे पत्थर दिख रहे हैं। नदियों के न मिलने के कारण सागर भी कमज़ोर हो गया है। उससे अब यह वियोग सहा नहीं जा रहा। हे वर्षा! तुम सागर की खुशी के लिए मिलन के गीत गा। हे वर्षा ! तुम आकर, सूरज की गर्मी से तप रही इस धरती को अपना शीतल जल बरसा दो।
कश्तियाँ सब…………………………………………….जल बरसा
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘आ री बरखा ‘कविता से ली गई हैं। इस कविता के लेखक डॉ॰ राकेश कुमार बब्बर हैं। इन पंक्तियों में कवि ने वर्षा के बिना धरती के लोगों की दशा को बताया है और उसे धरती पर आने को कहा है ।
व्याख्या: कवि कहता है कि वर्षा के इंतज़ार में बच्चों की कश्तियाँ तैरने के इंतज़ार में खड़ी हैं। फ़सल की अच्छी उपज के लिए किसानों की सारी उम्मीदें सिर्फ तुम पर ही खड़ी हैं। हे वर्षा रानी! तुम आकर अच्छी पैदावार से अनाज के खाली कमरे भर जा। हे वर्षा! तुम आकर, सूरज की गर्मी से तप रही इस धरती को अपना शीतल जल बरसा दो।
प्रश्न 1:नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिए गए शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :-
ਪੇੜ पेड़ ਕਿਸ਼ਤੀਆਂ कश्तियाँ
ਪੰਛੀ पंछी ਕਿਸਾਨ किसान
ਪੱਥਰ पत्थर ਕੋਠੜੀ कोठरी
प्रश्न 2: नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :-
ਮੀਂਹ वर्षा /बरखा ਸਾਗਰ सिंधु
ਪ੍ਰਿਥਵੀ धरा ਅੱਖਾਂ आँखें
ਫੁੱਲ पुष्प ਗਰਮ तपती
प्रश्न 3 इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:-
प्रश्न (क) वर्षा ऋतु से पूर्व कौन सी ऋतु होती है?
उत्तर: वर्षा ऋतु से पूर्व गर्मी की ऋतु होती है
प्रश्न (ख) गर्मी के कारण प्रकृति कैसी दिखाई देती है ?
उत्तर: गर्मी के कारण प्रकृति सौंदर्य रहित दिखाई देती है ।
प्रश्न (ग) नदियों में सूखे पत्थर क्यों दिखाई देने लगे हैं ?
उत्तर: वर्षा न होने के कारण नदियों में पानी का स्तर कम हो गया है। इसलिए नदियों में सूखे पत्थर दिखाई दे रहे हैं।
प्रश्न (घ) सागर की दुर्बलता का क्या कारण था ?
उत्तर: वर्षा न होने के कारण नदियों का जल सागर को नहीं मिल पा रहा था। यही सागर की दुर्बलता का कारण था।
प्रश्न (ङ) बच्चे वर्षा की प्रतीक्षा क्यों करते हैं ?
उत्तर: क्योंकि उन्होंने अपनी कागज़ की कश्तियाँ वर्षा के पानी में चलानी हैं।
प्रश्न (च) किसान वर्षा से क्या माँग रहे हैं ?
उत्तर: किसान अच्छी फसल के लिए पानी की माँग कर रहे हैं।
प्रश्न 5 :पर्यायवाची शब्द लिखें :-
बरखा वर्षा, बरसात धरा भूमि, धरती
पेड़ वृक्ष, तरु जल पानी, नीर
पंछी पक्षी, नभचर पुष्प फूल, सुमन
बादल मेघ, घन नदी सरिता, तटिनी
सिंधु सागर, समुद्र पत्थर पाषाण, शिला
किश्ती नाव, नौका
प्रश्न 6: विपरीत शब्द लिखें :-
शीतल ऊष्ण कुम्हलाना खिलना
बिखरना सिमटना दुर्बल सबल
वियोग संयोग मिलन जुदाई
प्रश्न 7: नीचे दिए गए बॉक्स में बरखा के समानार्थक शब्द दिए गए हैं, उन्हें ढूँढ़िए और लिखिए :-
उत्तर :-
मेह
वर्षा
बूँदाबाँदी
बरखा
झड़ी
बारिश
छींटा
जल
कणी
लेखन: रजनी गोयल, हिंदी अध्यापिका, स(क).स.स. स्कूल, रामां बठिंडा
संशोधन: राजन, हिंदी मास्टर, स.मि. स्कूल लोहारका कलां, अमृतसर,
संयोजक: दीपक कुमार, हिंदी मास्टर, स.मि. स्कूल मानवाला, बठिंडा
सहायक: मुनीश कुमार, हिंदी मास्टर, स(ल). स.स.स्कूल, कोठागुरु, बठिंडा