पाठ 9 – दो हाथ (कक्षा- नौवीं)

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(क) विषय बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए –
प्रश्न 1. नीरू की दिनचर्या क्या थी?
उत्तर- पढ़ाई के अतिरिक्त  घर के सभी कम काज करना और अपने भाई बहनों का ध्यान रखना नीरू की दिनचर्या में शामिल था।

प्रश्न 2. नीरू को प्रायः किस का अभाव खलता था ?
उत्तर – नीरू को प्रायः अपनी माँ का अभाव खलता था।

प्रश्न 3. नीरू अपनी हमउम्र सहेलियों को खेलते देखकर क्या सोचा करती थी?
उत्तर- नीरू सोचा करती थी कि आज अगर उसकी माँ जीवित होती तो वह भी बेफिक्र होकर अपनी सहेलियों के साथ खेलती, झूमती और नाचती।

प्रश्न 4. पिता का दुलार पाकर नीरू क्या भूल जाती थी ?
उत्तर – पिता का दुलार पाकर नीरू अपनी माँ की कमी को भूल जाती थी।

प्रश्न 5. नीरू ने पढ़ाई के साथ अन्य कौन से इनाम जीते थे?
उत्तर – नीरू ने पढ़ाई के साथ संगीत, चित्रकला और खेलों में भी कई इनाम जीते थे।

प्रश्न 6. कॉलेज की लड़कियाँ हफ्तों से किस की सजावट में जुटी हुई थी ?
उत्तर – कॉलेज की लड़कियाँ हफ्तों से अपने नाखूनों की सजावट में जुटी हुई थीं।

प्रश्न 7. सभापति ने कौन सा निर्णय सुनाया ?
उत्तर – सभापति ने निर्णय सुनाया कि नीरू के हाथ कॉलेज में सबसे अधिक सुंदर हैं।

प्रश्न 8. घर लौटते समय नीरू खुश क्यों थी?
उत्तर – घर लौटते समय नीरू इसलिए खुश थी क्योंकि आज उसके कटे-फटे, गंदे-भद्दे हाथों का वास्तविक सौंदर्य पहचाना गया था।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन–चार पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1. नीरू घर के कौन-कौन से काम किया करती थी ?
उत्तर- नीरू अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। माँ की मृत्यु के बाद उसी ने घर की सारी जिम्मेदारियाँ उठा ली थीं। वह खाना बनाती, जूठे बर्तन साफ़ करती थी। घर की सफ़ाई करती, कपड़े धोती व घर के अन्य छोटे-बड़े सभी काम करती थी

प्रश्न 2. नीरू की माँ उसे काम करने से क्यों रोकती थी ?
उत्तर- नीरू की माँ उसे काम करने से इसलिए रोकती थी क्योंकि उसके हाथ बहुत ही सुन्दर थे। घर के काम करने पर नीरू की माँ उससे कहती थी कि यह सब काम तेरे करने के नहीं। अभी तू पढ़ाई कर। तुम्हारी  उँगलियाँ कोमल हैं। इन पाँचों उँगलियों में पाँच अंगूठियाँ डालूँगी।

प्रश्न 3. नीरू के सहेलियाँ उसका मज़ाक क्यों उड़ाती थी ?
उत्तर- नीरू की सहेलियाँ उसके गंदे हाथों को देखकर उसका मज़ाक उड़ाती थीं। नीरू के हाथ बहुत जगह से कटे-फटे थे। चपाती सेकते हुए भी उसके हाथ कहीं कहीं से जल भी गए थे। उसकी सहेलियाँ उसके गंदे-भद्दे हाथों को देखकर उसका मजाक उड़ाते हुए कहती थी कि तेरी शादी कभी नहीं होगी, तुझे कोई पसंद नहीं करेगा।

प्रश्न 4. नीरू को उसके पिता ने हाथों का क्या महत्व समझाया ?
उत्तर- नीरू के पिता उससे बहुत प्यार करते थे। उन्होंने बहुत ही प्यार से उसको समझाते हुए कहा कि तुम ऐसे व्यर्थ की बातों पर ध्यान मत दिया करो। काम करने की शोभा उसके हाथों से आँकी जाती है। अपने हाथों से काम करने वाली लड़की तो शक्ति और सम्पन्नता का प्रतीक होती है। भगवान ने ये दोनों हाथ कर्म करने के लिए बनाए हैं। काम करने से हाथों की शोभा और सुंदरता कम नहीं होती बल्कि बढ़ती है ।

प्रश्न 5. इनाम लेते समय नीरू को शर्म क्यों आ रही थी ?
उत्तर-  इनाम लेते समय नीरू को शर्म इसलिए आ रही थी क्योंकि उसके हाथ बहुत गंदे थे। देखने में उसके हाथ बिल्कुल भी सुन्दर नहीं थे। दूसरे आज जल्दी-जल्दी में वह हाथ होना भी भूल गई थी और वह सोच रही थी कि सभापति जब इनाम देंगे तो उसके हाथों को देखकर वे क्या सोचेंगे।

प्रश्न 6. ‘कर्मशीलता ही हाथों की शोभा होती है।’ इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर– उक्त पंक्ति के माध्यम से लेखिका यह कहना चाहती हैं कि हाथ कर्म करने के लिए ही होते हैं हाथों की असली शोभा तो कर्म करने से ही है। ईश्वर ने हमें दो हाथ कर्म करने के लिए दिए हैं, मात्र सजाने के लिए नहीं। हाथों का वास्तविक सौंदर्य कर्म करने में है, फिर भले ही वह खराब हो जाए, खुरदरे हो जाएँ, इससे अंतर नहीं पड़ता। कर्म करने वाले की पहचान उसके कर्मों से बनती है, बाहरी दिखावे से नहीं ।

प्रश्न 7.  इनाम लेकर लौटते समय नीरू को अपने हाथ सुन्दर क्यों लग रहे थे ?
उत्तर- इनाम लेकर लौटते समय नीरू को अपने हाथ सुन्दर इसलिए लग रहे थे क्योंकि आज इन्हीं हाथों के कारण उसे विशेष इनाम मिला था। आज वह बहुत प्रसन्न थी कि उसके हाथों का आज किसी ने मज़ाक नहीं उड़ाया। इसके विपरीत आज सभापति ने नीरू के हाथों को कर्मशीलता का अपूर्व उदाहरण कहा था। उसकी कर्मशीलता के कारण ही उसे कॉलेज में सबसे सुंदर हाथों का इनाम भी मिला था।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 6 – 7 पंक्तियों में दीजिए-                                                                                      www.hindipunjab.com
प्रश्न 1.नीरू का चरित्र- चित्रण कीजिए।
उत्तर – नीरू ‘दो हाथ ‘ कहानी की मुख्य पात्रा है। नीरू के चरित्र की कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार है–
ज़िम्मेदारी की भावना- नीरू अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी है। अपनी माँ की मृत्यु के बाद उसने घर की सभी जिम्मेदारियाँ अपने कंधों पर उठाई और बख़ूबी उन्हें निभाया।
घर के कामों में कुशल- नीरू घर के सभी काम बड़ी कुशलता के साथ करती है। रसोई का काम करना, साग-सब्ज़ी बनाना, बर्तन साफ़ करना, कपड़े धोना इत्यादि उसकी दिनचर्या में शामिल है।
अपने परिवार से प्यार करने वाली- नीरू अपने परिवार से बहुत प्यार करती है। वह अक्सर अपनी माँ को याद करके रोती है। वह पिता को भी कामकाज करने नहीं देती। वह अपने छोटे भाई बहनों को भी बहुत प्यार से पढ़ाती है।
पढ़ाई में होशियार-  नीरू घर के कामों में कुशल होने के साथ-साथ पढ़ाई में भी बहुत होशियार है। पढ़ाई के साथ-साथ चित्रकला, संगीत-कला और खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन करती है और उसने कई इनाम जीते हैं।
अतः नीरू बहुत ही मेहनती, समझदार और गुणवान लड़की है।

प्रश्न 2. नीरू ने कौन सा अनोखा सपना देखा था?
उत्तर– नीरू कॉलेज में होने वाले वार्षिक उत्सव को लेकर काफी परेशान थी। उसकी सहेलियाँ बार-बार उसका मज़ाक उड़ाती थीं। सारा दिन उसके दिमाग में उनकी बातें घूमती रहती थीं। रात में उसने सपने में देखा कि चारों ओर सुंदर-सुंदर हाथ दिखाई दे रहे थे और इन सुंदर-सुंदर हाथों के बीच उसके कटे-फटे, मैले धब्बेदार, टेढ़े-मेढ़े नाखूनों वाले, आटा लगे हाथ दिखाई दिए लेकिन इन हाथों के नजर आते ही चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश फैल गया। इसी के साथ सुंदर हाथ तारों के समान न जाने कहाँ खो गए। यह अनोखा सपना देखने के बाद वह दोबारा सो नहीं पाई।

प्रश्न 3.  सभापति ने हाथों का वास्तविक सौंदर्य क्या बताया ?
उत्तर– सभापति ने हाथों का वास्तविक सौंदर्य बताते हुए कहा कि सुंदर हाथ कर्म से सजते हैं। कर्मशीलता ही हाथों की शोभा होती है। उनका सौंदर्य काम करने की क्षमता में ही होता है। हाथ मानव जीवन का बाहरी सौंदर्य न होकर आंतरिक सौंदर्य और श्रृंगार होते हैं। वे हाथ सबसे सुंदर है जो कर्म साधना में अपनी सुध-बुध ही खो बैठे हैं। जो सदा दूसरों की सेवा में लगे रहते हैं। वे हाथों पर लगे आटे, काले–पीले, जले निशान, स्थान–स्थान से कटे-फटे हाथों को सृष्टि का अलौकिक सौंदर्य मानते हैं ।

प्रश्न 4.  ‘दो हाथ’ कहानी का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर- ‘दो हाथ’ कहानी डॉ० इंदु बाली द्वारा रचित एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी के माध्यम से सौंदर्य के वास्तविक स्वरूप पर प्रकाश डाला गया है। यह एक मनोवैज्ञानिक कहानी है जिसमें लेखिका ने नीरू के माध्यम से कर्मशीलता का संदेश दिया है। सौंदर्य का एक रूप कर्म करने में विद्यमान है। ईश्वर ने हमें दो हाथ कर्म करने के लिए दिए हैं, मात्र सजाने के लिए नहीं। हाथों का वास्तविक सौंदर्य कर्म करने में ही है, फिर भले ही वे खराब हो जाएँ, खुरदरे हो जाएँ, उससे अंतर नहीं पड़ता। इसी संदेश द्वारा लेखिका ने लोगों की मानसिक कुंठा को दूर करने का प्रयास किया है। घर के कार्य करने से नीरु के हाथ गंदे, भद्दे और बदसूरत लगते हैं किंतु कॉलेज के वार्षिक उत्सव में सभापति की ओर से उसके इन हाथों को विशेष इनाम दिया गया जिन पर काम करने के सौंदर्य की आभा झलक रही थी। इस प्रकार लेखिका कर्म की महत्ता का संदेश बच्चों तक पहुँचा ने में पूर्णतया सफल रही है।

(ख)  भाषा – बोध
I. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए-
1. मन भर आना – (भावुक होना) माँ की याद आते ही  नीरू का मन भर आता था।
2. फूट फूट कर रोना – (बहुत ज्यादा रोना) अपने हाथों की दशा देखकर नीरू फूट-फूट कर रोने लगी।
3. आँखें डबडबा आना – (आँखों में आँसू आ जाना) पिता का दुलार पाते ही नीरू की आँखें डबडबा आई।
4. दम घुटना – (उकता जाना) बुरा सपना देखने के बाद मीना का दम घुटने लगा।
II. निम्नलिखित वाक्य में उपयुक्त स्थान पर उचित विराम चिह्न का प्रयोग कीजिए –
1. पिता झट पूछते क्या बात है मेरी रानी बिटिया उदास क्यों है
उत्तर- पिता झट पूछते, “क्या बात है, मेरी रानी बिटिया उदास क्यों हैं?”
2. पिताजी सिर पर हाथ रखते हुए कहते हैं शायद मैं तुम्हें माँ का पूरा प्यार नहीं दे पाया
उत्तर- पिताजी सिर पर हाथ रखते हुए कहते हैं, “शायद मैं तुम्हें माँ का पूरा प्यार नहीं दे पाया।”
3. वह उमंग से भर कहने लगी सच पिताजी आप ठीक कहते हैं
उत्तर – वह उमंग से भर कहने लगी,“सच पिताजी! आप ठीक कहते हैं।”

III. निम्नलिखित वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए-
1. ਬਰਤਨ ਸਾਫ਼ ਕਰਕੇ ਨੀਰੂ ਨੇ ਰਸੋਈ ਨੂੰ ਧੋਇਆ ਅਤੇ ਸਾਗ ਕੱਟਣ ਵਿਚ ਮਗਨ ਹੋ ਗਈ।
उत्तर- बर्तन साफ़ करके नीरू ने रसोई को धोया और साग काटने में मग्न हो गई।

2. ਸਭਾਪਤੀ ਨੇ ਫ਼ੈਸਲਾ ਸੁਣਾਇਆ ਤਾਂ ਸਭ ਹੈਰਾਨ ਹੋ ਗਏ।
उत्तर – सभापति ने फ़ैसला सुनाया तो सब हैरान हो गए।

3. ਭਗਵਾਨ ਨੇ ਇਹ ਦੋ ਹੱਥ ਕਰਮ ਕਰਨ ਲਈ ਬਣਾਏ ਹਨ।
उत्तर- भगवान ने ये दो हाथ कर्म करने के लिए बनाए हैं।

तैयार कर्ता  परविंदर कौर (बी.एम. हिंदी) सरकारी हाई स्कूल, भैणी, बठिंडा
संयोजक: दीपक कुमार, हिंदी मास्टर, स.मि. स्कूल मानवाला, बठिंडा

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2 Reviews
  • Premjeet. says:

    Bahut achhaa hai, ye mere exam me kaam aata hai.😄😍🤩❤️

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