पाठ 12 नींव की ईंट, लेखक – श्री रामवृक्ष बेनीपुरी
(क) विषय बोध
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न (i) ‘नींव की ईंट’ पाठ के आधार पर बतायें कि दुनिया क्या देखती है?
उत्तर– दुनिया नींव की ईंट की अपेक्षा इमारत की चमक दमक देखती है। ऊपर का आवरण देखती है। कँगूरे (इमारत के ऊपरी हिस्से) की चमक-दमक ही देखना चाहती है।
प्रश्न (ii) इमारत का होना न होना किस बात पर निर्भर करता है?
उत्तर- इमारत का होना न होना नींव की पहली ईंट पर निर्भर करता है। यदि नींव मज़बूत होगी, तो इमारत भी मज़बूत बन पाएगी।
प्रश्न (iii) लेखक ने नींव की ईंट किसे बताया है?
उत्तर- लेखक ने ऐसे महान देशभक्तों को जिन्होंने अपने आप को देश-हित के लिए बलिदान कर दिया और अपने लिए कुछ नहीं मांगा। ऐसा मूक बलिदान देने वालों को लेखक ने नींव की ईंट बताया है।
प्रश्न (iv) नींव की ईंट ने अपना अस्तित्व क्यों विलीन कर दिया?
उत्तर- नींव की ईंट ने अपना अस्तित्व इसलिए विलीन कर दिया ताकि इमारत मज़बूत और सुंदर बन सके। इमारत को मज़बूत बनाने के लिए कुछ पक्की लाल -लाल ईंटो को नींव में जाना पड़ता है।
प्रश्न (v) ईसा की शहादत ने किस धर्म को अमर बना दिया?
उत्तर- ईसा की शहादत ने ईसाई धर्म को अमर बना दिया।
प्रश्न (vi) किसकी हड्डियों के दान से वृत्रासुर का नाश हुआ?
उत्तर- ऋषि दधीचि की हड्डियों के दान से विदेशी वृत्रासुर का नाश हुआ।
प्रश्न (vii) लेखक के अनुसार सत्य की प्राप्ति कब होती है?
उत्तर- लेखक के अनुसार ढूँढ़ने से ही सत्य की प्राप्ति होती है। किसी भी इमारत का सत्य उसकी नींव की ईंट होती है।
प्रश्न (viii) पाठ में लेखक ने ‘दधीचि’ और ‘वृत्रासुर’ शब्द किसके लिए प्रयोग किए हैं?
उत्तर- पाठ में ‘दधीचि’ शब्द का प्रयोग त्यागशील और बलिदान करने वाले लोगों के लिए जिन्होंने अपना सर्वस्व देश के लिए अर्पित कर दिया तथा ‘वृत्रासुर’ शब्द का प्रयोग अंग्रेज शासकों और विदेशी आक्रमणकारियों के लिए किया गया है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन -चार पंक्तियों में दीजिए।
प्रश्न (1) नींव की ईंट और कँगूरे की ईंट दोनों क्यों वंदनीय हैं?
उत्तर- नींव की ईंट इसलिए वंदनीय है क्योंकि वह अपना बलिदान देकर भवन को मज़बूती प्रदान करती है। वह सदा मौन-मूक बनी रहती है। कँगूरे की ईंट इसलिए वंदनीय है क्योंकि वह इमारत की शोभा बढ़ाती है। लोग कँगूरे की ईंट की सुंदरता को देखकर इमारत की शोभा का आकलन करते हैं।
प्रश्न (2) ‘नींव की ईंट’ पाठ के आधार पर सत्य का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत पाठ में सत्य के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि ‘सत्य’ सदा ‘शिवम’ होता है। साथ ही सदैव ‘सुंदरम’ भी हो,यह आवश्यक नहीं। सत्य कठोर होता है। कठोरता और भद्दापन साथ-साथ जन्मा करते हैं, जिया करते हैं। लोग कठोरता से दूर भागते हैं और भद्देपन से मुख मोड़ते हैं। इसलिए वे सत्य से भी भागते हैं।
प्रश्न (3) देश को आज़ाद करवाने में किन लोगों का योगदान रहा है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर- देश को आज़ाद करवाने में उन लोगों का योगदान है जो बिना किसी इच्छा या माँग के मौन रूप से देश के लिए शहीद हो गए। वे देश की आजादी की इमारत खड़ी करने के लिए नींव की ईंट बने। ऐसे लोगों के बलिदान से देश को आज़ादी मिली है।
प्रश्न (4) आजकल के नौजवानों में एक कँगूरा बनने की होड़ क्यों मची हुई है?
उत्तर- आज मौन बलिदान की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता, न ही इस प्रकार के बलिदान को महत्त्व ही दिया जाता है। आज का युवक केवल यश और सुख प्राप्त करना चाहता है। आज के नौजवानों में बलिदान की भावना, धैर्य और त्याग जैसे उदात्त गुणों का अभाव है। वे देश के लिए बलिदान से दूर भागते हैं। वे अपने लिए बहुत-सी सुविधाएँ चाहते हैं। इसलिए आज देश के नौजवानों में कँगूरा बनने की होड़- सी मची हुई है।
प्रश्न (5) नए समाज के निर्माण के लिए हमें किस चीज़ की आवश्यकता है?
उत्तर- नए समाज के निर्माण के लिए आज ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है जो अपने आप को देश निर्माण के कार्य में चुपचाप खपा दें, जो एक नई प्रेरणा से अनुप्राणित हों, एक नई चेतना से अभिभूत हों, जो शाबाशियों से दूर हों, दलबंदियों से अलग हों। जिनमें एक कँगूरा बनने की कामना न हो। कलश कहलाने की जिनमें वासना भी न हो। सभी कामनाओं तथा सभी वासनाओं से दूर हों।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः-सात पंक्तियों में दीजिए–
प्रश्न (1) ‘नींव की ईंट’ पाठ के आधार पर बताएँ कि समाज की आधारशिला क्या होती है?
उत्तर- बेनीपुरी जी ने नींव की ईंट की भाँति मूक बलिदान देने वाले व्यक्तियों को समाज की आधारशिला माना है। ऐसे व्यक्ति समाज की उन्नति के लिए और समाज को मजबूत आधार प्रदान करने के लिए चुपचाप अपने प्राणों का बलिदान कर देते हैं। बलिदान का लाल सेहरा पहनने वाले ऐसे लोगों को ही बेनीपुरी जी ने समाज की आधारशिला माना है।
प्रश्न (2) आज देश को कैसे नौजवानों की जरूरत है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर- किसी भी देश का विकास और उज्ज्वल भविष्य उस देश के नौजवानों पर निर्भर करता है। आज भारत
वर्ष को ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है जो व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर ईमानदारी से देश के निर्माण
में अपना सहयोग दें। ज़रूरत है ऐसे नौजवानों की, जो इस काम में अपने आपको चुपचाप खपा दें, जो एक नई प्रेरणा से अनुप्राणित हों। एक नई चेतना से अभिभूत, जो शाबाशियों से दूर हो, दलबंदियों से अलग हो। जिनमें कँगूरा बनने की कामना न हो कलश कहलाने की जिनमें वासना न हो। सभी कामनाओं एवं सभी वासनाओं से दूर हों।
प्रश्न 3 निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) सुंदर समाज बने, इसलिए कुछ तपे-तपाए लोगों को मौन मूक शहादत का लाल सेहरा पहनना है।
उत्तर (क) इन पंक्तियों में लेखक ने बताया है कि सुंदर समाज के निर्माण के लिए कुछ ईमानदार और सच्चे लोगों को नींव की ईंट की तरह अपना मौन बलिदान देना पड़ेगा। तभी समाज का सही एवं समुचित निर्माण हो सकता है।
(ख) हम जिसे देख नहीं सके, वह सत्य नहीं है, यह है मूढ़ धारणा। ढूँढ़ने से ही सत्य मिलता है। ऐसी नींव की ईंटों की ओर ध्यान देना ही हमारा काम है, हमारा धर्म है।
उत्तर- लेखक ने इन पंक्तियों में सत्य के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि हम जिसे देख नहीं सकते वह सत्य नहीं है। ऐसा सोचना पूर्णत: गलत है। सत्य तो ढूँढ़ने से ही मिलता है। ऐसी नींव जिसमें अनेक ईंटें गड़ी हुई हैं। उन ईंटों की ओर ध्यान देना हमारा कर्म ही नहीं, हमारा धर्म भी है। कहने का तात्पर्य है जिन लोगों ने देश की आज़ादी के लिए मौन बलिदान दिया, जिनके कारण हम आज़ाद हुए हैं, उनकी खोज़ करना हमारा परम धर्म है।
(ग) उदय के लिए आतुर समाज चिल्ला रहा है- हमारी नींव की ईंट किधर है? देश के नौजवानों को यह चुनौती है।
उत्तर- इन पंक्तियों में लेखक ने स्वतंत्रता के पश्चात भारत के समाज की ओर संकेत किया है कि वे आगे बढ़ने के लिए व्याकुल हैं किंतु हमारी नींव अर्थात आधार जिस पर ठहर कर हम आगे बढ़ सकेंगे, अपना विकास कर सकेंगे, यह देखना देश के नौजवानों के लिए महान चुनौती है।
(ख) भाषा -बोध
1. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग और मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए–
शब्द उपसर्ग मूल शब्द
आवरण आ वरण
प्रताप प्र ताप
प्रचार प्र चार
बेतहाशा बे तहाशा
प्रसिद्धि प्र सिद्धि
अभिभूत अभि भूत
अनुप्राणित अनु प्राणित
आकृष्ट आ कृष्ट
2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए-
शब्द मूल शब्द प्रत्यय
मज़बूती मज़बूत ई
भद्दापन भद्दा पन
पायदारी पाय दारी
विदेशी विदेश ई
चमकीली चमक ईली
पुख़्तापन पुख्ता पन
कारखाना कार खाना
सुनहली सुनहल ई
3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझ कर उन्हें वाक्य में प्रयुक्त कीजिए-
नींव की ईंट बनना (काम का आधार बनना) महान व्यक्ति हमेशा समाज की नींव की ईंट बनते हैं।
शहादत का लाल (बलिदान देने वाला व्यक्ति) देश के शहादत के लालों को कभी नहीं भूलना चाहिए।
सेहरा पहनना (सर्वस्व बलिदान देना) हमारी सेना के वीर सिपाही देश की रक्षा के लिए सदा सेहरा पहनने के लिए तत्पर रहते हैं।
खाक छानना ( मारा-मारा फिरना) पिता अपने खोए हुए पुत्र के लिए पूरे देश में खाक छानता फिरा।
फलना फूलना (सुखी व सम्पन्न होना) देशभक्तों के बलिदान के कारण ही समाज फलता- फूलता है।
खपा देना (किसी काम में लग जाना) देश के विकास के लिए ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है जो अपने आप को खपा देने के लिए तैयार हों।
निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए –
1. कँगूरे के गीत गाने वाले हम आइए अब नींव के गीत गाएँ
उत्तर– कँगूरे के गीत गाने वाले हम,आइए, अब नींव के गीत गाएँ।
2. हाँ शहादत और मौन -मूक समाज की आधारशिला यही होती है
उत्तर- हाँ, शहादत और मौन-मूक! समाज की आधारशिला यही होती है।
3.अफ़सोस कँगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा- होड़ी मची है नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है
अफ़सोस कँगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है, नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है।
4. हमारी नींव की ईंट किधर है
उत्तर– हमारी नींव की ईंट किधर है?
लेखन:- रजनी बजाज, हिंदी अध्यापिका, स. स. स. स. बहिमन दीवाना, बठिंडा
संशोधन : डॉ० सुमन सचदेवा, हिंदी अध्यापिका,स.ह. स्कूल (लड़के) मंडी हरजीराम, मलोट
संयोजक: दीपक कुमार, हिंदी मास्टर, स.मि. स्कूल मानवाला, बठिंडा