पाठ 7 नव युवकों के प्रति (कक्षा आठवीं)

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पाठ 7 नव युवकों के प्रति ( मैथिलीशरण गुप्त)
(कविता की सप्रसंग व्याख्या)

(क)            हे नवयुवाओ! देश भर की दृष्टि तुम पर ही लगी।
                 है मनुज जीवन की तुम्हीं में ज्योति सब से जगमगी।
                 दोगे न तुम तो कौन देगा योग देशोद्धार में ?
                 देखो, कहाँ क्या हो रहा है आजकल संसार में।।
प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आओ हिंदी सीखें – 8’ में से कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त की कविता ‘नवयुवकों के प्रति ‘में से ली गईं हैं। जिसमें कवि ने देश के नवयुवकों को देश के उद्धार और उन्नति हेतु योगदान देने के लिए प्रेरित किया है।
व्याख्या:- कवि देश के नवयुवकों को कहता है कि देश आज केवल तुम्हारी ओर देख रहा है। तुम से मानव जीवन की ज्योति प्रकाशित है।  तुम आज अगर अपने देश की उन्नति में अपना योगदान नहीं दोगे तो कौन देगा? यह तुम्हारा ही कर्त्तव्य बनता है,  तुम देखो कि आज संसार में क्या हो रहा है। तुम ही अपने देश को विकास की राह में आगे ले जा सकते हो।
विशेष:- सरल भाषा का प्रयोग। नवयुवकों को जगाने का प्रयास। देश भक्ति का भाव।

(ख)           जो कुछ पढ़ो तुम कार्य में भी साथ ही परिणत करो,
                 सब भक्तवर प्रह्लाद की निम्नोक्ति को मन में धरो –
                “कौमार में ही भगवत धर्माचरण कर लो यहाँ
                 नर-जन्म दुर्लभ और वह अधिक रहता है कहाँ।
प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिंदी सीखें – 8’ में से कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त की कविता ‘नवयुवकों के प्रति ‘में से ली गईं हैं। कवि ने देश के नवयुवकों को भक्त प्रह्लाद के उत्तम सन्देश को मन में धारण कर उसे अपनाने के लिए कहा है।
व्याख्या:- कवि कहता है कि तुम अपने जीवन में जो भी ज्ञान लो अथवा पढ़ो उसे अपने व्यावहारिक जीवन में भी अपनाओ। तुम अपने मन में भक्त प्रह्लाद की उक्ति को अपना लो और अपनी युवा अवस्था में ही भागवत धर्म का पालन करो अर्थात् अपना ज्ञान अपने कार्यों में प्रयोग करो क्योंकि मानव जीवन बहुत ही छोटा और दुर्लभ है। इस जीवन को बेकार न जाने दो।
विशेष:- भक्त प्रह्लाद की उक्ति का उदाहरण दिया। भागवत धर्म के आचरण पर बल। सरल भाषा का प्रयोग।

(ग)            दो पथ, असंयम और संयम हैं तुम्हें अब सब कहीं।।
                पहला अशुभ है, दूसरा शुभ है इसे भूलो नहीं।”
                पर मन प्रथम की ओर ही तुम को झुकवेगा अभी,
                यदि तुम न संभ्लोगे अभी तो फिर न संभलोगे कभी।।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य- पुस्तक ‘आओ हिंदी सीखें – 8’ में से कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त की कविता ‘नवयुवकों के प्रति ‘में से ली गईं हैं। जिसमें कवि ने देश के नवयुवकों को शुभ कर्म के लिए प्रेरित किया है।
व्याख्या:- कवि देश के नवयुवकों को कहता है कि जीवन में तुम्हारे सामने दो रास्ते हैं। एक अशुभ और दूसरा शुभ। तुम्हारा मन तुम्हें अशुभ की ओर झुकायेगा। तुम अशुभ पथ की ओर भागोगे। अगर तुमने उचित समय पर शुभ पथ का चुनाव कर लिया तो तुम अपने जीवन को संवार पाओगे। अगर तुम उचित समय पर नहीं संभले तो जीवन में कभी संभाल नहीं पाओगे।
विशेष :- युवाओं को शुभ कर्म के लिए उचित निर्णय लेने के लिए कहा है। सरल भाषा का प्रयोग।

1.नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:-
ਸ਼ੁਭ            शुभ                                 ਅੱਜ ਕੱਲ     आजकल
ਸੰਸਾਰ         संसार                              ਜਨਮ          जन्म
ਜੋਤੀ           ज्योति                              ਜੀਵਨ         जीवन

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें:-
ਨਜ਼ਰ                  दृष्टि                       ਬਦਲਨਾ       परिणत
ਹਿੱਸਾ, ਯੋਗਦਾਨ     योग                       ਪਹਿਲਾ         प्रथम

3. शब्दार्थ:-
भक्तवर          भक्तों में श्रेष्ठ
देशोद्धार        देश का उद्धार करना
योग               सहयोग
कौमार           कुमार/यौवन की अवस्था
निम्नोक्ति         नीचे लिखी उक्ति या कथन
धर्माचरण       धर्म के अनुसार आचरण/ व्यवहार करना
धरो               धारण करो

4. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:-
(क) इस (नवयुवकों के प्रति) कविता के कवि का नाम लिखें।
उत्तर– ‘नवयुवकों के प्रति’ कविता के कवि का नाम मैथिलीशरण गुप्त है।

(ख) यह कविता किन्हें संबोधित की गई है?
उत्तर- यह कविता (नवयुवकों के प्रति) नवयुवकों को संबोधित की गई है।

(ग) ‘जो कुछ पढ़ो तुम कार्य में भी साथ ही परिणत करो’। इस काव्य पंक्ति का अर्थ लिखें।
उत्तर- मैथिलीशरण गुप्त नवयुवकों को कहते हैं कि जो ज्ञान आप पढ़कर हासिल करें। उस ज्ञान का प्रयोग अपनी जिंदगी में करें।

(घ) नवयुवकों के सम्मुख कौन-से दो पथ हैं? उन्हें किस पथ का चुनाव करना चाहिए?
उत्तर– नवयुवकों के सामने असंयम और संयम दो पथ हैं। उन्हें दूसरे पथ अर्थात संयम का चुनाव करना चाहिए। क्योंकि पहला रास्ता गलत है और दूसरा रास्ता सही है।

(ङ)     इन काव्य-पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें:-
         दो पथ, असंयम और संयम हैं तुम्हें अब सब कहीं।।
         पहला अशुभ है , दूसरा शुभ है इसे भूलो नहीं।”
         पर मन प्रथम की ओर ही तुम को झुकावेगा अभी,
         यदि तुम न सम्भलोगे अभी तो फिर न संभलोगे कभी।।
उत्तर– सप्रसंग व्याख्या ऊपर दी जा चुकी है, वहीँ से लिख लें।

5. इन शब्दों के दो दो पर्यायवाची शब्द लिखें:-
मनुज          मानव, मनुष्य, मानुष                  
ज्योति         आलोक,उजाला, प्रकाश
संसार         जग, विश्व, दुनिया,                     
पथ             रास्ता, राह, मार्ग

6. विपरीत शब्द बनायें:-
अ + संयम = असंयम                           अ + शुभ = अशुभ
अ + धर्म = अधर्म                                अ + विश्वास = अविश्वास

लेखन: कुलदीप सिंह हिंदी मास्टर, स.स.स.स. माहीनंगल, बठिंडा
संशोधन: डॉ.सुमन सचदेवा, हिंदी अध्यापिका, स.ह.स्कूल (लड़के), मंडी हरजीराम, मलोट

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