(ख) विषय बोध
भाग-1निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :-
प्रश्न 1 घर से बाहर निकल कर बाहरी संसार में विचरने पर युवाओं के सामने पहली कठिनाई क्या आती है?
उत्तर: घर से बाहर निकल कर बाहरी संसार में विचरने पर युवाओं के सामने पहली कठिनाई मित्र चुनने की आती है।
प्रश्न 2 हमसे अधिक दृढ़ संकल्प वाले लोगों का साथ बुरा क्यों हो सकता है?
उत्तर: हम से अधिक दृढ़ संकल्प वाले लोगों का साथ हमारे लिए इसलिए बुरा हो सकता है क्योंकि उनकी हर बात हमें बिना विरोध के मान लेनी पड़ती है ।
प्रश्न 3 आजकल लोग दूसरों में कौन-कौन सी दो- चार बातें देखकर उन्हें अपना मित्र बना लेते हैं?
उत्तर: आजकल लोग दूसरों में हंसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग, थोड़ी चतुराई या साहस जैसी दो-चार बातें देखकर शीघ्रता से उसे अपना मित्र बना लेते हैं ।
प्रश्न 4 किस प्रकार के मित्र से भारी रक्षा रहती है ?
उत्तर: विश्वासपात्र मित्र से भारी रक्षा रहती है।
प्रश्न 5चिंताशील, निर्बल तथा धीर पुरुष किस प्रकार का साथ ढूँढ़ते हैं ?
उत्तर: चिंता शील मनुष्य प्रफुल्लित व्यक्ति का, निर्बल मनुष्य बली का तथा धीर पुरुष उत्साही पुरुष का साथ ढूँढ़ते हैं।
प्रश्न 6. उच्च आकांक्षा वाला चंद्रगुप्त युक्ति और उपाय के लिए किसका मुँह ताकता था ?
उत्तर: उच्च आकांक्षा वाला चंद्रगुप्त युक्ति और उपाय के लिए चाणक्य का मुंह ताकता था।
प्रश्न 7 नीति विशारद अकबर मन बहलाने के लिए किसकी ओर देखता था ?
उत्तर: नीति विशारद अकबर मन बहलाने के लिए बीरबल की ओर देखता था ।
प्रश्न 8 मकदूनिया के बादशाह डेमेट्रियस के पिता को दरवाजे पर कौन सा ज्वर मिला था ?
उत्तर: मकदूनिया के बादशाह डेमेट्रियस के पिता को दरवाजे पर कुसंगति रूपी ज्वर मिला था जोकि मौज मस्ती में बादशाह का साथ देने वाला एक जवान युवक था ।
प्रश्न 9 राज दरबार में जगह न मिलने पर इंग्लैंड का एक विद्वान अपने भाग्य को क्यों सराहता रहा ?
उत्तर: राज दरबार में जगह न मिलने पर इंग्लैंड का विद्वान अपने भाग्य को सराहता रहा क्योंकि उसे लगता था कि राजदरबारी बनकर वह बुरे लोगों की संगति में पड़ जाता । इस तरह से उसकी आध्यात्मिक उन्नति नहीं हो पाती
प्रश्न 10 हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय क्या है ?
उत्तर: हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय बुरी संगति से दूर रहना है ।
भाग 2निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए :-
प्रश्न 1 विश्वासपात्र मित्र को खजाना, औषधि और माता जैसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर: लेखक ने विश्वासपात्र मित्र को खजाना, औषधि और माता जैसा कहा है। जैसे खजाना मिलने से सभी प्रकार की कमियां दूर हो जाती हैं इसी तरह विश्वासपात्र मित्र मिलने से भी सभी कमियाँ दूर हो जाती हैं। औषधि की तरह वह हमारी बुराइयों रूपी बीमारियों को ठीक कर देता है, इसलिए उसे औषधि कहा है। विश्वासपात्र मित्र में माता के समान धैर्य और कोमलता होती है, इसलिए उसे माता कहा गया है ।
प्रश्न 2 अपने से अधिक आत्मबल रखने वाले व्यक्ति को मित्र बनाने से क्या लाभ है ?
उत्तर: अपने से अधिक आत्मबल रखने वाले व्यक्ति को मित्र बनाने से बहुत लाभ हैं। ऐसा मित्र हमारे मनोबल को बढ़ाता है। उसकी प्रेरणा से हम अपनी शक्ति से अधिक काम कर लेते हैं । जिस प्रकार सुग्रीव ने राम से प्रेरणा पाकर अपने से अधिक बलवान बाली से युद्ध किया था। ऐसे मित्रों के होने से हम कठिन से कठिन काम को भी आसानी से कर लेते हैं ।
प्रश्न 3 लेखक ने युवाओं के लिए कुसंगति और सतसंगति की तुलना किससे की है और क्यों?
उत्तर: लेखक ने सत्संगति की तुलना सहारा देने वाली बाजु से की है जो हमें निरंतर उन्नति की ओर ले कर जाती है। इसके विपरीत कुसंगति की तुलना पैर में बंधी हुई चक्की से की है जो कि हमें निरंतर अवनति के गड्ढे में गिराती जाती है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात पंक्तियों में दीजिए :-
प्रश्न 1 सच्चे मित्र के कौन-कौन से गुण लेखक ने बताए हैं ?
उत्तर: लेखक के अनुसार सच्चे मित्र में बहुत से गुण होते हैं। उसमें उत्तम वैद्य सी निपुणता, माता के समान धैर्य होता है। वह हमारे लिए खजाने के सामान होता है। सच्चा मित्र हमारा मार्गदर्शक होता है। वह हमारी रक्षा करता है। उस पर हम अपने भाई के समान विश्वास कर सकते हैं। वह हमारे संकल्पों को दृढ़ करता है और हर प्रकार से हमारी सहायता करता है।
प्रश्न 2 बाल्यावस्था और युवावस्था की मित्रता के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: बाल्यावस्था की मित्रता में एक मग्न कर देने वाला आनंद होता है। उसमें ईर्ष्या का भाव भी होता है। मधुरता, प्रेम और विश्वास भी बचपन की मित्रता में होते हैं। जल्दी ही रूठना और मनाना भी होता है। युवावस्था की मित्रता बाल्यावस्था की मित्रता की अपेक्षा अधिक दृढ़, शांत और गंभीर होती है। युवावस्था का मित्र सच्चे पथ-प्रदर्शक के समान होता है।
प्रश्न 3 दो भिन्न प्रकृति के लोगों में परस्पर प्रीति और मित्रता बनी रहती है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर: दो भिन्न प्रकृति के लोगों में भी परस्पर प्रीति और मित्रता बनी रह सकती है। जैसे मुगल सम्राट अकबर और बीरबल दोनों अलग-अलग स्वभाव के होते हुए भी मित्र थे। अकबर नीति विशारद व विद्वान थे जबकि बीरबल एक मज़ाकिया स्वभाव वाले व्यक्ति थे। इसी प्रकार राम धीर और शांत स्वभाव के थे और लक्ष्मण उग्र स्वभाव के थे, लेकिन दोनों भाइयों में परस्पर प्रीति थी। इस प्रकार लेखक ने इन उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया है कि दो भिन्न प्रकृति वाले लोगों में परस्पर मित्रता हो सकती है ।
प्रश्न 4 मित्र का चुनाव करते समय हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर मित्र का चुनाव करते समय हमें बहुत सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए। उसके गुणों तथा स्वभाव को देखना चाहिए। केवल हंसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग, चतुराई आदि देख कर किसी को मित्र नहीं बना लेना चाहिए। मित्र जीवन के कठिन समय में सहायता देने वाला होना चाहिए। उसमें माता के समान धैर्य तथा वैद्य के समान निपुणता होनी चाहिए। वह सच्चे पथ प्रदर्शक के समान होना चाहिए।
प्रश्न 5 “बुराई अटल भाव धारण करके बैठती है।” क्या आप लेखक की इस उक्ति से सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: लेखक का यह कथन पूर्णतया उचित है कि बुराई हमारे मन में अटल भाव धारण करके बैठ जाती है, जबकि अच्छी और गंभीर बातें हमें जल्दी समझ में नहीं आती। जैसे भद्दे और फूहड़ गीत, बचपन की सुनी गंदी गालियाँ हमें कभी नहीं भूलती। इसी तरह सिगरेट, शराब आदि की लत भी आसानी से नहीं छूटती। अन्य बुरी बातें भी हमारे मन में सहज ही प्रवेश कर जाती है तथा वह जल्दी दूर नहीं होती। अतः लेखक का यह कथन पूरी तरह ठीक है कि बुराई अटल भाव धारण करके बैठती है ।
(ख) भाषा बोध
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए:-
मित्र – मित्रता बुरा – बुराई
कोमल – कोमलता अच्छा – अच्छाई
शांत – शांति निपुण – निपुणता
दृढ़ – दृढ़ता
प्रश्न 2.वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए :-
जिसका सत्य में दृढ़ विश्वास हो: सत्यनिष्ठ
जो नीति का ज्ञाता हो: नीतिज्ञ
जिस पर विश्वास किया जा सके: विश्वसनीय
जो मन को अच्छा लगता हो: मनोरम
जिसका कोई पार न हो: अपरंपार
प्रश्न 3निम्नलिखित में संधि कीजिए :-
युवा + अवस्था – युवावस्था
बाल्य + अवस्था – बाल्यावस्था
नीच + आशय – नीचाशय
महा + आत्मा – महात्मा
नशा + उन्मुख – नशोन्मुख
वि + अवहार – व्यवहार
हत + उत्साहित – हतोत्साहित प्रति + एक – प्रत्येक
सह+ अनुभूति – सहानुभूति पुरुष + अर्थी – पुरुषार्थी
प्रश्न 4निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कीजिए :-
नीति विशारद – नीति का विशारद सत्य निष्ठा – सत्य में निष्ठा
राजदरबारी – राज का दरबारी जीवन निर्वाह – जीवन का निर्वाह
पथ प्रदर्शक – पथ का प्रदर्शक जीवन संग्राम – जीवन का संग्राम
स्नेहा बंधन – स्नेह का बंधन
प्रश्न 5निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझ कर इनका प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए :-
1 कच्ची मिट्टी की मूर्ति: परिवर्तित होने योग्य: बच्चों का दिमाग कच्ची मिट्टी की मूर्ति जैसा होता है।
2 खजाना मिलना: बहुत धन मिलना: पिता की वसीयत पाकर मानो उसे खजाना ही मिल गया।
3 जीवन की औषधि होना: जीवन की रक्षा का साधन: बूढ़े किशन सिंह की पेंशन उसके जीवन की औषधि है।
4 मुँह ताकना: आशा लगाए बैठना: बूढ़े माँ बाप को छोटे छोटे कामों के लिए अपने बच्चों का मुँह ताकना पड़ता है।
5 ठट्ठा मारना: ज़ोर से हँसना: मोहन की अटपटी सी बात सुनकर पास बैठे लोग ठट्ठा मारकर हँस पड़े ।
6 पैरों में बंधी चक्की: रास्ते की रुकावट: कुसंगति पैरों में बंधी चक्की के समान हमें आगे नही बढ़ने देती।
7 घड़ी भर का साथ: थोड़ी देर का साथ: समझदार व्यक्ति का घड़ी भर का साथ ही बहुत कुछ सिखा देता है।
डॉ. सुमन सचदेवा, हिंदी अध्यापिका, स.ह. स्कूल (लड़के) मंडी हरजीराम, मलोट