(क) विषय-बोध
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए:-
प्रश्न 1. ममता कौन थी ?
उत्तर- ममता रोहतास दुर्ग के मंत्री चूड़ामणि की बेटी थी।
प्रश्न 2. मंत्री चूड़ामणि को किसकी चिंता थी ?
उत्तर- मंत्री चूड़ामणि को अपनी जवान, विधवा बेटी की चिंता थी।
प्रश्न 3. मंत्री चूडामणि ने अपनी विधवा पुत्री ममता को उपहार में क्या देना चाहा ?
उत्तर- मंत्री चूड़ामणि ने अपनी पुत्री ममता को सोने-चाँदी के आभूषण उपहार में देने चाहे।
प्रश्न 4. डोलियों में छिपाकर दुर्ग के अंदर कौन आए ?
उत्तर- डोलियों में छिपकर दुर्ग के अंदर स्त्रीवेश में शेरशाह के सिपाही आए।
प्रश्न 5. ममता रोहतास दुर्ग छोड़कर कहाँ रहने लगी ?
उत्तर- पिता की मृत्यु के बाद ममता दुर्ग छोड़कर काशी के निकट बौद्ध विहार के खंडहरों में झोपड़ी बनाकर रहने लगी।
प्रश्न 6. ममता से झोपड़ी में किसने आश्रय माँगा ?
उत्तर- ममता से झोपड़ी में मुगल बादशाह हुमायूँ ने आश्रय माँगा था।
प्रश्न 7. ममता पथिक को झोंपड़ी में स्थान देकर स्वयं कहाँ चली गई ?
उत्तर- पथिक को झोपड़ी में स्थान देकर ममता स्वयं खंडहरों में चली गई।
प्रश्न 8. चौसा युद्ध किन-किन के मध्य हुआ ?
उत्तर- चौसा युद्ध मुगल बादशाह हुमायूँ और शेरशाह सूरी के मध्य हुआ।
प्रश्न 9. विश्राम के बाद जाते हुए पथिक ने मिरजा को क्या आदेश दिया ?
उत्तर- विश्राम के बाद जाते हुए पथिक ने मिरजा को उस झोपड़ी की जगह घर बनवाने का आदेश दिया।
प्रश्न 10. ममता की जीर्ण-कंकाल अवस्था में उसकी सेवा कौन कर रही थीं ?
उत्तर- ममता की जीर्ण-कंकाल अवस्था में उसकी सेवा पास के गाँव की कुछ औरतें कर रही थीं।
प्रश्न 1. ब्राह्मण चूड़ामणि कैसे मारा गया ?
उत्तर- ब्राह्मण चूड़ामणि रोहतास दुर्ग का मंत्री था। दुर्ग के अंदर बहुत सारी डोलियाँ प्रवेश कर रहीं थीं। मंत्री चूड़ामणि को उन पर शक हुआ। उसने डोलियों का आवरण खुलवाना चाहा। जिस पर पठानों ने इस बात को अपना अपमान समझा और तलवारें निकाल लीं। इस प्रकार उन पठानों से लड़ते हुए मंत्री चूड़ामणि मारा गया।
प्रश्न 2. ममता ने झोपड़ी में आए व्यक्ति की सहायता किस प्रकार की ?
उत्तर- झोंपड़ी में आए व्यक्ति ने ममता से सहायता माँगी। पहले तो उसने मना किया पर बाद में अतिथि धर्म का पालन करते हुए ममता ने बिना किसी धर्म भेद के उस मुगल सिपाही को पहले पानी पिलाया और बाद में अपनी झोपड़ी में आश्रय दिया।
प्रश्न 3. ममता ने अपनी झोपड़ी के द्वार पर आए अश्वारोही को बुलाकर क्या कहा ?
उत्तर- ममता ने झोंपड़ी के द्वार पर आए अश्वारोही को पास बुलाकर कहा, “मैं नहीं जानती कि वह व्यक्ति शहंशाह था या साधारण मुगल। मैंने सुना था कि वह जाते हुए मेरा घर बनवाने की आज्ञा दे गया था। मैं जीवन भर अपनी झोपड़ी के खोदे जाने से डरती रही, पर अब मुझे कोई चिंता नहीं। मैं अपने चिर विश्राम-गृह में जा रही हूँ। अब तुम यहाँ मकान बनाओ या महल, मेरे लिए इसका कोई महत्व नहीं।“
प्रश्न 4. हुमायूँ द्वारा दिए गए आदेश का पालन कितने वर्षों बाद तथा किस रूप में हुआ ?
उत्तर- हुमायूँ द्वारा दिए गए आदेश का पालन 47 वर्षों बाद उसके पुत्र अकबर द्वारा किया गया। वहाँ पर एक अष्टकोण मंदिर का निर्माण करवाया गया। उस मंदिर पर शहंशाह हुमायूँ के नाम का शिलालेख लगवाया गया। लेकिन अफ़सोस की बात है की वहाँ ममता का कहीं नाम नहीं था।
प्रश्न 5. मंदिर में लगाए शिलालेखा पर क्या लिखा गया ?
उत्तर- मंदिर में लगाए शिलालेख पर लिखा गया, “सातों देशों के नरेश हुमायूं ने एक दिन यहाँ विश्राम किया था। उनके पुत्र अकबर ने उसकी स्मृति में यह गगनचुंबी मंदिर बनवाया।” लेकिन हुमायूं को आश्रय देने वाली ममता का वहाँ कहीं नाम न था।
III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात पंक्तियों में दीजिये:-
प्रश्न 1. ममता का चरित्र चित्रण कीजिए।
उत्तर- ममता जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कहानी ‘ममता‘ की नायिका है। उसके चरित्र के कुछ महत्वपूर्ण पहलू इस प्रकार हैं:-
एक विधवा ब्राह्मण कन्या- ममता रोहतास दुर्ग के मंत्री चूड़ामणि की पुत्री है। उसके पास सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, परंतु अपनी भरपूर यौवनावस्था में ही उसे वैधव्य की पीड़ा सहनी पड़ती है।
स्वाभिमानी भारतीय नारी- ममता एक अत्यंत स्वाभिमानी स्त्री है। उसमें भारतीय नारी के सभी गुण विद्यमान हैं। उसके मन में धन के प्रति लेशमात्र भी मोह नहीं है। उसके पिता मंत्री चूड़ामणि जब यवनों से रिश्वत कबूल कर लेते हैं, तो ममता इस बात का विरोध करती है।
राष्ट्रप्रेम की भावना- ममता में राष्ट्रप्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। अपने पिता द्वारा यवनों से प्राप्त धन को वह राष्ट्र के प्रति विश्वासघात मानती है। इसी कारण वह अपने पिता का विरोध करती है।
धर्म का पालन करने वाली- ममता सदैव अपने धर्म का पालन करती है। उसने भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्श- ‘अतिथि देवो भव‘ का पालन करते हुए मुगल सिपाही होते हुए भी उस थके हुए पथिक की सेवा की और उसे अपनी झोंपड़ी में आश्रय भी दिया।
परोपकार की भावना- ममता परोपकार की भावना से भरी हुई है। उसके इसी गुण के कारण सभी लोग उसका सम्मान करते हैं। कहानी के अंत में जब ममता मरणासन्न स्थिति में होती है तो गाँव की बहुत सी औरतें उसकी सेवा करती हुई दिखाई देती हैं।
अतः संक्षेप में कहा जा सकता है कि ममता हर प्रकार से अत्यंत सशक्त चरित्रकी स्वामिनी है।
प्रश्न 2. ममता कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर- ‘ममता’ प्रसाद जी की एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक कहानी हैं। इस कहानी में लेखक ने अपनी प्रमुख पात्रा ममता के माध्यम से हमें एक आदर्श भारतीय नारी, के चरित्र से अवगत कराया है। इस कहानी से हमें अपने जीवन में उचित आदर्श, कर्तव्य पालन व त्याग जैसे गुणों को अपनाने की शिक्षा मिलती है। हमें पता चलता है कि इतिहास बनाने में केवल राजा महाराजाओं का ही हाथ नहीं होता बल्कि एक साधारण व्यक्ति भी इस कार्य में अहम भूमिका निभाता है। अतः हमें कभी भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटना चाहिए। इस कहानी में लेखक ने भ्रष्टाचार जैसे दैत्य पर कड़ा प्रहार किया है, जिससे हमें सीख मिलती है कि हमें प्रत्येक अवस्था में देश हित के लिए काम करनाचाहिए। हमें सदैव बिना किसी धार्मिक भेदभाव के परोपकार की भावना कोअपनाना चाहिए तथा अपनी सभ्यता व संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए। इस कहानी से हमें एक और महत्वपूर्ण बात का पता चलता है कि किस प्रकार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा हमारी सभ्यता व संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास किए जाते रहे हैं।
(ख) भाषा बोध
निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए:-
विधवा – सधवा स्वीकार – अस्वीकार
स्वस्थ – अस्वस्थ प्राचीन – नवीन
सुख – दु:ख अपमान – मान
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए:-
बरसात – वर्षा, बरखा चंद्रमा – चाँद, शशि
माता – माँ, जननी पक्षी – खग, पंछी
रात – रात्रि, रजनी
लेखन: डॉ.सुमन सचदेवा, हिंदी अध्यापिका, स.ह. स्कूल (लड़के),मंडी हरजीराम, मलोट