पाठ 13 माँ (कक्षा आठवीं)
प्रसंग सहित व्याख्या
ईश्वर का…………………संस्कार है।
प्रसंग – यह पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘आओ हिंदी सीखे – 8’ में संकलित कविता ‘माँ’ में से ली गई है। इसकी लेखिका डॉ मीनाक्षी वर्मा है। इसमें कवयित्री ने माँ के गुणों का वर्णन किया है।
व्याख्या – कवयित्री कहती है कि माँ ईश्वर का अनोखा वरदान है। माँ का रिश्ता सभी रिश्तों में से महान है। माँ जब अपने बच्चे को जीवन का पाठ पढ़ाती हैं अर्थात उसे सही गलत का चुनाव करना सिखाती है,तब वह एक किताब बन जाती है। वह घर में सभी से आदर सत्कार से बात करती है। उसके काम में उसके संस्कार झलकते हैं।
भावार्थ – माँ की महिमा का गुणगान किया गया है।
जब हर ………………… रात है।
व्याख्या – कवयित्री कहती है कि माँ बच्चे को उसके हर पल का एहसास करवाती है अर्थात उसे कब क्या करना है यह बातें उसकी माँ तय करती है। इस तरह वह अपने बच्चे के लिए समय बन जाती है। जब माँ जाग जाती है तभी बच्चे की सुबह शुरू होती है। जब माँ सोती हैं तभी उसकी रात होती है।
भावार्थ – माँ का हर कार्य ही समय निश्चित करता है।
जब हर ………………… अपार है।
व्याख्या – कवयित्री कहती है कि माँ अपने बच्चे के जीवन में आने वाली हर संकट का सामना हिमालय की तरह करती है। उसका हथियार साहस है। उसमें ऊर्जा अपार है।
भावार्थ – माँ के साहस व शक्ति को दर्शाया है।
जब ममता ………………… सदाचार है।
व्याख्या – कवयित्री कहती है कि माँ अपने बच्चे के जीवन में अपनी ममता के प्रकाश से उजाला कर देती है तब वह एक बाती का रूप ले लेती है। वह अपने बच्चे के हर दुःख को स्वीकार करती है और बदले में सुख प्रदान करती है। उसका सदाचार सुख देना है।
भावार्थ – माँ स्वयं दुःख सहकर सुख प्रदान करती है।
जब खुशी ………………… जय-जयकार है।
व्याख्या-कवित्री कहती है कि माँ ने बच्चे की खुशी को देखकर रो देती है। उसका मन वात्सल्य प्रेम से भर जाता है। तब यह उत्सव बन जाती है। दुआओं में उसकी चमत्कार होता है। उसके प्रोत्साहन से ही बच्चे को बल मिलता है और संसार में उसकी जय जयकार होती है।
भावार्थ – वात्सल्य प्रेम का वर्णन किया है।
जब खुद ………………… स्वभाव है।
व्याख्या- कवयित्री कहती है कि माँ जब स्वयं कम खाकर अपने बच्चों का पेट भरती है तब वह गौरैया बन जाती है। माँ के प्रेम में वात्सल्य प्रेम का भाव है। उसका स्वभाव समर्पण है। बच्चे के लिए वह अपना सब कुछ समर्पित कर देती है।
भावार्थ – माँ में वात्सल्य प्रेम का भाव वर्णन किया गया है।
जब ………………… उपहार है।
व्याख्या-कवयित्री कहती है कि माँ हमेशा अपने बच्चे को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है तब वह नदी बन जाती है। वह हमेशा मर्यादा में काम करती है। उसका उपहार सहनशीलता है।
भावार्थ-माँ हमेशा अपने बच्चे को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
जब नि:स्वार्थ ………………… स्वर्गद्वार है।
व्याख्या-कवयित्री कहती है कि माँ नि:स्वार्थ सेवाभाव से सभी की सेवा करती है, तब वह धरती बन जाती है। वह हमेशा सभी को देना जानती है, इसी में उसका विस्तार है। माँ के चरणों में स्वर्ग का द्वार है।
भावार्थ- माँ की महिमा का वर्णन किया गया है।
अभ्यास भाग हल सहित
1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:-
ਈਸ਼ਵਰ-ईश्वर ਊਰਜਾ-ऊर्जा
ਮਾਂ-माँ ਚਮਤਕਾਰ-चमत्कार
ਹਥਿਆਰ-हथियार ਨਦੀ-नदी
2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें-
ਸਮਾਂ-समय ਹੌਂਸਲਾ-साहस
ਸਵੇਰ-प्रभात ਬੱਤੀ-बाती
ਮੁਸੀਬਤ-विपदा ਸੁਭਾਅ-स्वभाव
3. शब्दार्थ
कथनी- कही हुई बात, कथन
शिष्टाचार- शिष्टता पूर्ण आचरण एवं व्यवहार
संस्कार- व्यवस्थित करना, सजाना
विपदा- संकट
बाती- दीपक
मर्यादित- प्रतिष्ठित
4.इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें-
प्रश्न 1. माँ किसका वरदान है?
उत्तर-माँ ईश्वर का वरदान है।
प्रश्न 2. माँ समय के रूप में क्या करती हैं?
उत्तर-माँ हर क्षण का एहसास करवाती है।
प्रश्न 3. हर विपदा को हराने पर माँ को क्या कहा गया है?
उत्तर-हर विपदा को हराने पर माँ को हिमालय कहा गया है।
प्रश्न 4. माँ का हथियार क्या है?
उत्तर माँ का हथियार साहस है।
प्रश्न 5. माँ बाती के रूप में क्या करती है?
उत्तर माँ बाती के रूप में ममता का प्रकाश फैलाती है।
प्रश्न 6. खुशी के आंसू बहाने पर माँ को क्या कहा गया है?
उत्तर खुशी के आंसू बहाने पर माँ को उत्सव कहा गया है।
प्रश्न 7. माँ गोरैया कब बन जाती है?
उत्तर- जब खुद कम खाकर माँ बच्चों को ज़्यादा खिलाती है तब माँ गोरैया बन जाती है।
प्रश्न 8. आगे बढ़ने का गीत सुनाने पर माँ को क्या पुकारा गया है?
उत्तर आगे बढ़ने का गीत सुनाने पर माँ को नदी पुकारा गया है।
प्रश्न 9. इस कविता में माँ का उपहार क्या बताया गया है?
उत्तर-इस कविता में माँ का उपहार सहनशीलता को बताया गया है।
प्रश्न 10. माँ के चरणों में किस का द्वार है?
उत्तर-माँ के चरणों में स्वर्ग द्वार है।
5.इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्य में लिखें:-
प्रश्न (क) इस कविता में माँ की कथनी और करनी में किसके दर्शन होते हैं?
उत्तर-इस कविता में माँ की कथनी में उसके शिष्टाचार के दर्शन होते हैं। उसके काम करने में उसके संस्कार झलकते हैं। वह सभी का आदर सत्कार करती है। वह घर की देख-रेख करती है।
प्रश्न (ख) दुःख और सुख में माँ की क्या भूमिका है?
उत्तर- माँ दूसरों के दुःख को खुशी से स्वीकार कर लेती है ।वह अपने बच्चों को सुख प्रदान करती है। सुख दुःख में वह हर समय अपने बच्चों के साथ रहती है ।उनकी हर तरह से मदद करती है।वह स्वयं कष्ट झेल कर उन्हें खुशी प्रदान करती है।
प्रश्न (ग) माँ की दुआओं और प्रोत्साहन से क्या होता है?
उत्तर -माँ की दुआओं में चमत्कार होता है। माँ के प्रोत्साहन से बच्चों को मुश्किल से मुश्किल कार्य करने में हिम्मत मिलती है, जिससे उनकी संसार में जय जयकार होती है।
प्रश्न (ख) धरती के रूप में माँ क्या करती है?
उत्तर-धरती के रूप में माँ सभी की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करती है। सभी का कल्याण करती है। उसके मन में किसी तरह का कोई लालच नहीं होता। वह बिना किसी लालच से अपने बच्चों का पालन पोषण करती है।
6.पर्यायवाची शब्द लिखें
ईश्वर – परमात्मा, प्रभु प्रभात – सवेरा, दिन
रात – रात्रि, निशा नदी – सरिता, नद, तरणि
चरण – पैर, पाँव धरती – धरा, पृथ्वी
किताब – पोथी, पुस्तक
7. विपरीत शब्द लिखें
वरदान -अभिशाप जीवन – मरण
स्वीकार – अस्वीकार प्रेम – घृणा
विस्तार – संक्षेप सदाचार – दुराचार
जय – पराजय
8. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखें
जिसका पार ना हो अपार
किसी का उत्साह बढ़ाना उत्साह वर्धन
बिना स्वार्थ के नि:स्वार्थ
माँ का बच्चे के प्रति प्यार वात्सल्य
अच्छा व्यवहार सद्व्यवहार
9. निम्नलिखित अशुद्ध शब्दों को शुद्ध करके लिखें :
शिश्टाचार – शिष्टाचार पड़ाती – पढ़ाती
कीताब – किताब हीमालय – हिमालय
सविकार – स्वीकार चमतकार – चमत्कार
आँसु – आँसू सुभाव – स्वभाव
विवहार – व्यवहार वातसतय – वात्सल्य
लेखन: रजनी गोयल, हिंदी अध्यापिका, स (क).स.स. स्कूल, रामां बठिंडा
संशोधन: राजन, हिंदी मास्टर, स.मि. स्कूल लोहारका कलां, अमृतसर
संयोजक: दीपक कुमार, हिंदी अघ्यापक, स.मि. स्कूल मानवाला, बठिंडा