पाठ- 19 प्रकृति का अभिशाप (लेखक – श्रीपाद विष्णु कानाडे)(कक्षा नौवीं)

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(क) विषय बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्य में दीजिए —    

पाठ- 19 प्रकृति का अभिशाप (लेखक - श्रीपाद विष्णु कानाडे)(कक्षा नौवीं)

(i) सूर्य देव को किस ग्रह की चिंता थी?

उत्तर- सूर्यदेव को पृथ्वी की सबसे अधिक चिंता थी।

(ii) जलदेवी के अनुसार पृथ्वी के वातावरण को कौन विषाक्त बना रहा है?

उत्तर- जलदेवी के अनुसार पृथ्वी के वातावरण को कीटनाशक, रसायन प्रदूषित कर रहे हैं अर्थात् विषाक्त कर रहे हैं।

(iii) पवनदेव ने ऑक्सीजन कम होने का क्या कारण बताया?

उत्तर- पवन देव ने बताया कि बढ़ती आबादी व बढ़ते औद्योगिक प्रदूषण की वजह से आक्सीजन कम हो रही है

(iv) वनदेवी ने अपने घटने का क्या कारण बताया?

उत्तर- वनदेवी ने अपने घटने का कारण पेड़ों की अधिक कटाई होना बताया।

(v) गंधकयुक्त औषधियाँ मनुष्य के स्वास्थ्य पर क्या प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं?

उत्तर- गंधक युक्त औषधियाँ मनुष्य की आँतों की बीमारी उत्पन्न करती है और तपेदिक जैसे रोगों को बढ़ावा देती हैं।

(vi) ओजोन परत क्या है?

उत्तर- ओजोन परत वह परत होती है जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव से पृथ्वी के जीवो की रक्षा करती है यह परत पृथ्वी की सतह से लगभग 30 किलोमीटर की ऊँचाई पर होती है।

(vii) ओजोन की परत को कौन नष्ट कर रहा है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर- वायुमंडल में उड़ने वाले बड़े-बड़े हवाई जहाज और तेज गति से उड़ने वाले जैट ओज़ोन  परत को नुकसान पहुँचा रहे हैं।

(viii) प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की बात किसने सूर्यदेव से कही?

उत्तर- बुद्धिदेवी ने प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की बात सूर्यदेव से की। उसने कहा कि आप चिंता मत करें। मैं इस प्रदूषण दैत्य को जड़ से ही समाप्त कर दूँगी।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए —

(i) यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी का क्या हाल होता? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर- यदि वायुमण्डल न होता तो पृथ्वी की स्थिति जो आज दिखाई दे रही है, वह ऐसी दिखाई न देती। यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी पर जीवन का नामो-निशान न होता। उल्काएँ पृथ्वी का विनाश करती रहती।

(ii) वनदेवी ने हरी पत्तियों को ऑक्सीजन का कारखाना क्यों कहा है?

उत्तर- वनदेवी ने बताया है कि हरी पत्तियाँ कार्बन डाइऑक्साइड को लेकर प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के द्वारा उसे आक्सीजन में बदल देती हैं। विश्वम के पोषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड रख लेती है और ऑक्सीजन को दोबारा  वायुमंडल में भेज देती हैं।इसलिए वनदेवी ने हरी पत्तियों को ऑक्सीजन का कारखाना कहा है।

(iii) वनदेवी ने गुस्से में आकर रश्मि देवी को क्या कहा?

उत्तर- वनदेवी ने गुस्से में आकर कहा- “ज़रा सोच समझ कर बात किया करो। मानव की आधुनिक प्रगति और औद्योगिक विकास के कारण हरे-भरे जंगल नष्ट हो रहे हैं। आजकल मनुष्य जंगल काटकर नई बस्तियाँ, नए शहर बसाता जा रहा है। कागज़ बनाने के लिए जंगल काट रहा है। इसके परिणाम स्वरूप वायु को शुद्ध करने की मेरी क्षमता कम होती जा रही है।

(iv) वन किस प्रकार हमारे लिए लाभकारी हैं?

उत्तर- वन हमारे लिए अनेक प्रकार से लाभकारी हैं –

1.) वन हमें शुद्ध वायु प्रदान करते हैं जो हमारे जीवन का आधार है।

2.) वन हमें खाने के लिए तरह तरह के फल देते हैं।

3.) वन हमें गर्मी से बचने के लिए छाया देते हैं।

4.) वन वर्षा लाने में सहायक सिद्ध होते हैं।

5.) वन धरती को उपजाऊ बनाए रखने के लिए भी कई प्रकार से सहायक सिद्ध होते हैं।

(v)  रेडियोधर्मिता क्या है? मनुष्य पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर -नाभिकीय विखंडन के समय किसी पदार्थ के परमाणु में से अपने आप  विकिरणों के कणों का निकलना रेडियोधर्मिता कहलाता है।जब मनुष्य परमाणु परीक्षण करता है तो उसमें से निकलने वाली किरण वायु व जल को प्रदूषित करते हैं। इस इससे मनुष्य को अनेक हानियाँ पहुँचती हैं। इसका दुष्प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ता है।

(vi) बुद्धि देवी ने मानव-रक्षा के लिए सूर्य देव को क्या भरोसा दिलाया?

उत्तर- बुद्धि देवी ने मानव रक्षा के लिए सूर्य देव को भरोसा दिलाया कि आपको कष्ट करने की जरूरत नहीं है।पृथ्वीवासियों के जीवन को सुखी बनाने वाली जल,वायु और वनस्पति देवियों की रक्षा मैं करूँगी। मैं प्रदूषण रूपी राक्षस को जड़ से ही समाप्त कर दूँगी।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए-

(i) लेखक ने प्रदूषण को महादैत्य कहा है। आप लेखक की बात से कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लेखक ने प्रदूषण को महादैत्य कहा है हम लेखक की इस बात से पूरी तरह सहमत हैं। प्रदूषण दैत्य की भाँति ही प्राणियों के जीवन को नष्ट करने वाला है। वह कई प्रकार से प्राणी जगत को नुक्सान पहुँचा रहा है। वायु प्रदूषण कैंसर जैसी बीमारियाँ उत्पन्न करके उन्हें मौत के मुँह  में भेज देता है। जल प्रदूषण से मनुष्य की पेट संबंधी बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं, जल में रहने वाले अन्य प्राणी भी जल प्रदूषण से मर जाते हैं। ध्वनि प्रदूषण मनुष्य को बहरा बना देता है और उनमें तनाव उत्पन्न करके कई रोगों का कारण बनता है। परमाणु परीक्षण से रेडियोधर्मिता मानव जीवन के लिए अत्यंत हानिकारक सिद्ध हो रही है। इससे आने वाली पीढ़ियाँ भी सुरक्षित नहीं रह सकेंगी अतः लेखक के द्वारा प्रदूषण को महादैत्य कहना उचित है।

(ii) जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण हमारे लिए बहुत ही घातक हैं-स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जल प्रदूषण से तात्पर्य है- पानी का गँदा होना। आज पानी में कीटनाशक दवाइयों, कारखानों से निकला हुआ गँदा पानी नदियों में छोड़ा जा रहा है। इसके प्रयोग से मनुष्य को पेट संबंधी तरह-तरह की बीमारियाँ लग जाती है।

वायु में तरह-तरह की गैसें मिलने से वायु प्रदूषित हो जाती है। इससे मनुष्य जीवन में कैंसर जैसी बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। जिससे मनुष्य की शीघ्र ही मृत्यु हो जाती है।

ध्वनि प्रदूषण भी आज के युग में बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। इससे मनुष्य को बहरेपन व दिल की बीमारियाँ होती हैं। मानसिक तनाव बढ़ता है। जिससे उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

इस प्रकार जल वायु और ध्वनि प्रदूषण हमारे लिए बहुत ही घातक साबित हो रहे हैं।

4. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए—-

(i) यह दैत्य ऐसा ही है जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे पृथ्वी के वातावरण को विषाक्त बना रहा है।

आशय- इन पंक्तियों में लेखक कहना चाहते हैं कि प्रदूषण एक ऐसे राक्षस के समान है जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे धरती के वातावरण को प्रदूषित कर रहा है और ज़हरीला बना रहा है।

(ii) मैं हूँ मानव का महाकाल, प्रगति का अभिशाप औद्योगिक प्रगति का विष वृक्ष मैं हूँ मानव का अदृश्य शत्रु प्रदूषण देते हैं समझे प्रदूषण देते है

आशय- प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रदूषण के द्वारा सूर्य देव को अपना परिचय देते हुए कही गई। सूर्य देव को प्रदूषण दैत्य ने कहा कि मैं मानव के लिए महाकाल के समान हूँ। मैं मानव की प्रगति के अभिशाप के स्वरूप उत्पन्न हुआ हूँ। मानवीय औद्योगिक प्रगति से उत्पन्न ज़हरीले वृक्ष के समान हानिकारक हूँ।मैं मानव का न दिखाई देने वाला उसका दुश्मन  हूँ। मैं वास्तव में ही प्रदूषण दैत्य हूँ।

(iii) आप लोग चिंता न करें, मुझ पर भरोसा रखें। आदि मानव विनाशकारी अग्नि से भयभीत हो गया था। फिर उसने इसी अग्नि को अपने अधीन कर लिया और आज अग्नि मानव के लिए बड़ी देन है। मैं इस प्रदूषण दैत्य को ही जड़ से समाप्त कर दूँ गी। संसार में इसका उन्मूलन करना परम आवश्यक है।

आशय- इन पंक्तियों में बुद्धि देवी सूर्य देव को कहती है। जब जब सब प्रदूषण से डर रहे थे उस समय बुद्धि देवी ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा कि आप प्रदूषण की चिंता मत करें। मुझ पर विश्वास रखें। मैं पृथ्वी के मानव की हर प्रकार से रक्षा करूँगी। उसने तर्क देते हुए कहा कि आदि मानव विनाशकारी आग से डर गया था फिर उसने उसी आग को अपने अधीन कर लिया था और उस पर काबू पा लिया। आज आग मानव जीवन के लिए सहायक बनी हुई है। मैं प्रदूषण को पूरी तरह समाप्त कर डालूँगी। प्रदूषण को समाप्त करना बहुत जरूरी है। प्रदूषण के समाप्त होने से ही  मानव जीवन सुखी रहेगा।

 

 

(ख) भाषा बोध

(i) निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए —

एकवचन                  बहुवचन                       एकवचन                                  बहुवचन

पत्ता                         पत्ते                               पुत्री                       पुत्रियाँ

आँत                       आँतें                            बहरा                       बहरे

साड़ी                      साड़ियाँ                        परत                      परतें

नीला                       नीले                            पत्ती                      पत्तियाँ

नज़र                       नज़रें                           गड्ढा                        गड्ढे

पृथ्वी                       पृथ्वियाँ                       किरण                   किरणें

पीला                      पीले                             लकड़ी                   लकड़ियाँ

गैस                        गैसें                             देवी                     देवियाँ

(ii) निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग अलग करके लिखिए-

शब्द                       उपसर्ग                    मूल शब्द

उन्नति                     उन्                          नति

असत्य                                                सत्य     

प्रगति                      प्र                            गति

प्रत्येक                     प्रति                         एक

आगमन                                             गमन

प्रदूषण                    प्र                            दूषण

अत्यधिक                अति                        अधिक

दुष्प्रभाव                  दुष्                         प्रभाव

(iii) निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग अलग करके लिखिए-

शब्द                       मूल शब्द                 प्रत्यय

प्रसन्नता                   प्रसन्न                       ता

उपयोग                   उप                         योग

उपहार                    उप                        हार

तीव्रता                     तीव्र                        ता

विषैला                     विष                       ऐला

ज़हरीला                  ज़हर                      ईला

(iv) निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझ कर उन्हें वाक्य में प्रयोग कीजिए-

(i) चारा न रहना (उपाय न होना) कोरोना जैसी भयंकर समस्या का सामना करने के सिवाय हमारे पास कोई चारा ही नहीं रहा है।

(ii) गज़ब ढाना (जुल्म करना) मुगलों ने भारतीय जनता पर अनेक गजब ढाए थे।

(iii) नाक में दम करना (तंग करना) आजकल महंगाई ने जनता की नाक में दम कर रखा है।

(iv) घुला घुलाकर मारना (धीरे-धीरे तकलीफ देकर मारना) प्रदूषण से उत्पन्न बीमारियाँ आजकल मनुष्य को घुला घुलाकर मारती हैं।

(v) लोहा लेना (लड़ाई करना) आजकल लोहा लेना शान का कार्य हो गया है।

(vi) तिनके के समान (बहुत कमज़ोर) मनुष्य को कभी भी शत्रु को तिनके के समान नहीं समझना चाहिए।

(v) निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए

तद्भव                   तत्सम             तद्भव                   तत्सम

सफेद                    श्वेत              पीला                    पीत

चाँद                     चन्द्रमा             सूरज                    सूर्य

करोड़                    कोटि              समुन्दर                 समुद्र

(vi) निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिन्ह लगाइए

(i) वह है मेरी प्रिय पुत्री पृथ्वी

(ii) कौन रश्मि तुम मेरी बातें सुन रही थीं

(iii) हाँ तुमने ठीक पहचाना

(iv) सिंहासन से उठकर आखिर बात क्या है

(v) मुझे आशीर्वाद दीजिए शक्ति दीजिए कि मैं लोक कल्याण के इस कार्य को करने में सफल होऊँ

उत्तर   -(i) वह है; मेरी  प्रिय पुत्री पृथ्वी।

          (ii) कौन रश्मि? तुम मेरी बातें सुन रही थीं!

          (iii) हाँ, तुमने ठीक पहचाना।

          (iv) सिंहासन से उठकर, ” आखिर क्या बात है? “

         (v) मुझे आशीर्वाद दीजिए, शक्ति दीजिए कि मैं लोक कल्याण के लिए इस कार्य को करने में सफल होऊँ।

लेखन:- रजनी बजाज, हिंदी अध्यापिका, स. स. स. स. बहिमन दीवाना, बठिंडा

 

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1 Review
  • Jesmeen says:

    It’s really to helpful …….thank you for uploading this content

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