पाठ 2. परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है
(कक्षा- सातवीं) (अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर)
प्रश्न 1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिए गए शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:-
ਸ਼ੂਰਸੇਨ – शूरसेन ਪਰਮਾਤਮਾ- परमात्मा ਸੰਤਾਨ – संतान
ਜਲਾਦ – जल्लाद ਵਿਸ਼ਵਾਸ – विश्वास ਘਟਨਾ – घटना
ਆਗਿਆ – आज्ञा ਮੰਤਰੀ – मंत्री ਅੰਗਹੀਣ – अंगहीन
प्रश्न 2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें:-
ਨਿਰੋਗ- रोगहीन ਕ੍ਰਿਤਘਣ – कृतघ्न ਐਵੇਂ – नाहक
ਛੁਪਣਾ – अस्त ਦਰੱਖ਼ਤ – वृक्ष ਬਲੀ ਦਾ ਬੱਕਰਾ -बलि- जीव
ਮੌਤ ਬਰਾਬਰ- मृत्यु-तुल्य ਭਰਾ ਵਰਗਾ- बंधुवर ਖਿਮਾ – क्षमा
प्रश्न 3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्य में लिखें :-
(क) सुमति कौन था?
उत्तर – सुमति राजा शूरसेन का मंत्री था।
(ख) सुमति किस बात पर विश्वास करता था?
उत्तर-सुमित को इस बात का विश्वास था कि परमात्मा जो करता है, वह अच्छा ही करता है।
(ग) राजा शूरसेन शिकार खेलने कहाँ गया?
उत्तर- राजा शूरसेन शिकार खेलने के लिए घने जंगल में गया।
(घ) राजा ने मंत्री से बदला लेने का क्या उपाय सोचा?
उत्तर -राजा ने सोचा कि मैं प्यास का बहाना बनाकर मंत्री को कुएँ से जल लेकर आने की आज्ञा देता हूँ और जैसे ही मंत्री जल निकालने के लिए नीचे झुकेगा, मैं उसे कुएँ में धक्का दे दूँगा।
(ङ) राजा ने अपने घोड़े को कहाँ बाँधा?
उत्तर- राजा ने अपने घोड़े को वृक्ष के साथ बाँध दिया।
(च) घोड़े को वृक्ष के साथ बँधा देकर सैनिकों ने क्या सोचा?
उत्तर- सैनिकों ने सोचा कि इसका सवार भी अवश्य ही यहीं आस-पास कहीं छिपा बैठा होगा।
(छ) सैनिक राजा शूरसेन को क्यों पकड़ना चाहते थे?
उत्तर- क्योंकि उन्हें अपने राजा के लिए एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी, जिसकी बलि चढ़ाकर उनका राजा अपना संकल्प पूरा कर सके।
(ज) राजा के प्राण कैसे बचे?
उत्तर- क्योंकि राजा शूरसेन की उंगली कटी हुई थी और अंगहीन व्यक्ति की बलि नहीं दी जा सकती थी। इस तरह राजा के प्राण बच गये।
(झ) राजा ने मंत्री को कुएँ से कब निकाला?
उत्तर- जब राजा अपनी जान बचाकर अपनी राजधानी को लौट रहा था तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने मंत्री को कुएँ से निकाला।
(ञ) राजा ने किससे क्षमा माँगी और क्यों?
उत्तर- राजा ने अपने मंत्री सुमति से क्षमा माँगी क्योंकि राजा के अंगहीन होने के कारण उसके प्राण बचे थे। तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
प्रश्न 4 .इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखिए :-
(क) राजा अपने जीवन से निराश क्यों हो गया था?
उत्तर-एक बार राजा की उंगली पर एक फोड़ा निकल आया था। इस फोड़े का दर्द असहनीय था। कुछ दिनों के बाद रोग बढ़ जाने के कारण राजा की उंगली गल गई और उसे काटना पड़ा। उस समय राजा अपनी दयनीय दशा को देखकर निराश हो गया।
(ख) कुएँ के पास से गुज़रते हुए राजा ने क्या सोचा?
उत्तर – राजा ने यह सोचा कि मैं प्यास का बहाना बनाकर मंत्री को कुएँ से पानी लाने की आज्ञा देता हूं, जैसे ही मंत्री पानी निकालने के लिए नीचे झुकेगा तब मैं उसे पानी में धक्का दे दूँगा।
(ग) राजा की बलि क्यों नहीं दी जा सकती थी?
उत्तर- राजा की उंगली फोड़े के कारण गल गई थी। जिस कारण उंगली काटनी पड़ी। बलि देने के लिए एक स्वस्थ मनुष्य की आवश्यकता होती है। क्योंकि राजा अंगहीन था, इसीलिए राजा की बलि नहीं दी जा सकती थी।
(घ) ‘मुझ भले अच्छे मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना संभव न होता।’ मंत्री के इस कथन को स्पष्ट करें ।
उत्तर- मंत्री के इस कथन का अभिप्राय यह है कि यदि राजा मंत्री को कुएँ में धक्का न देता तो दूसरे राजा के सैनिक उस मंत्री को भी राजा शूरसेन के साथ पकड़कर ले जाते। क्योंकि मंत्री अंगहीन नहीं था तो वहाँ उसकी बलि दे दी जाती।
(ङ) इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है। भाव यह है कि परमात्मा की हर बात में कोई न कोई अच्छाई छिपी होती है। हमें अपने जीवन में कभी भी दु:खी और निराश नहीं होना चाहिए। परमात्मा सदैव अच्छा ही करता है ।
प्रश्न 6.किसने कहा,किससे कहा ?
(क) अरे पापियो! यह क्या कर डाला? तुम नहीं जानते कि अंगहीन मनुष्य की बलि नहीं दी जाती।
उत्तर – बलि देने वाले राजा ने अपने सैनिकों से कहा।
(ख) परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।
उत्तर- सुमति मंत्री ने राजा शूरसेन से कहा।
(ख) हे, धर्मात्मा बंधुवर! क्या तुम अब भी ज़िंदा हो?
उत्तर- राजा शूरसेन ने अपने मंत्री सुमति से कहा ।
(घ) मेरा कुएँ में गिरना भी एक शुभ लक्षण था।
उत्तर- मंत्री सुमति ने अपने राजा शूरसेन से कहा।
प्रश्न 7. इन शब्दों और मुहावरों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें:-
पत्थर दिल (कठोर दिल वाला) मोहन एक पत्थर दिल लड़का है । वह तुम्हारी भावनाओं को नहीं समझ सकता।
रोगहीन (जिसे कोई बीमारी न हो) अस्पताल से आने के बाद मोहन अब पूरी तरह से रोगहीन है।
थका-हारा (बहुत थका हुआ) किसान थका-हारा शाम को घर पहुँचा।
नेक दिल (अच्छे हृदय वाला, दयावान) महात्मा गांधी जी एक नेक दिल इंसान थे।
शुभ लक्षण (अच्छा संकेत) मंत्री का कुएँ में गिरना भी एक शुभ लक्षण था।
मौत के घाट उतारना (मार देना) राजा ने अपने शत्रु को मौत के घाट उतार दिया।
संकल्प पूरा करना (वादा पूरा करना) रावण को मारकर श्रीराम ने अपना संकल्प पूरा किया।
प्राणों की खैर मनाना (अपनी जान का बचाव करना) राजा शूरसेन प्राणों की खैर मनाता हुआ महल से भाग निकला।
मृत्यु तुल्य जीवन बिताना (दु:खों और अभावों में जीवन जीना) गंभीर बीमारी के कारण राधा मृत्यु तुल्य जीवन बिता रही है।
जल भुनना (ईर्ष्या करना) हमें कभी दूसरों की प्रगति को देखकर जल भुनना नहीं चाहिए।
प्रश्न 8 .इन शब्दों के विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें:-
जीवित – मृत भलाई – बुराई
अस्त-उदय प्रातः काल -सायंकाल
कृतघ्न-कृतज्ञ शुभ – अशुभ
रोगहीन – रोगग्रस्त दोष – गुण
स्वामी- सेवक इच्छा – अनिच्छा
प्रश्न 9 .इन शब्दों के दो-दो समानार्थक शब्द लिखें:-
राजा – नरेश, भूपति, नृप परमात्मा – ईश्वर, भगवान, प्रभु
घोड़ा – तुरंग, अश्व, घोटक सेवक – दास, नौकर, अनुचर
रात – निशा, रात्रि, रजनी जंगल – वन, कानन, विपिन
वृक्ष – पेड़, तरु, विटप तलवार- खड्ग, असि, कृपाण
प्रश्न 10. नये शब्द बनायें :-
धर्म + आत्मा = धर्मात्मा परम + आत्मा = परमात्मा
भला + आई = भलाई अच्छा + आई = अच्छाई
प्रश्न 11. इन शब्दों को शुद्ध करके लिखें:
कृतघन कृत्घन चूमुण्डा चामुण्डा
पतथर पत्थर डावाडोल डावांडोल
कुआ कुआँ सैनीक सैनिक
लेखन: सोनिया बंसल, हिंदी अध्यापिका, स.ह. स्कूल बुर्ज लध्धा सिंह वाला, बठिंडा
संशोधन: मदन छाबड़ा, हिंदी मास्टर, स.स.स. स्कूल, जीवन सिंह वाला, बठिंडा
संयोजक: दीपक कुमार, हिंदी मास्टर, स.मि. स्कूल मानवाला, बठिंडा