श्री गुरु नानक देव जी सिक्खों के पहले गुरु थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को लाहौर से कुछ दूर तलवंडी नामक गाँवतलवंडी में हुआ था। उनके पिता जी का नाम मेहता कालू व माता जी का नाम तृप्ता देवी था।उनकी बड़ी बहन नानकी व पत्नी का नाम सुलखणी देवी था। इनके दो पुत्र-बाबा श्रीचंद व बाबा लक्ष्मी चंद हुए हैं।
गुरु नानक जी मरदाना जी के साथ चारों दिशाओं में पच्चीस साल तक भ्रमण करते रहे,जिसे चार उदासियाँ कहा जाता है। गुरु जी की वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित है। इन्होंने छुआछूत,पाखँड और अंधविश्वास का खंडन किया । गुरु जी ने लोगों को वहमों और भ्रमों से बाहर निकाला और जीने का सच्चा राह दिखाया।लोगों को मेहनत करके और बाँटकर खाने की शिक्षा दी ।इन्होंने समाज को ईश्वर का भजन करने का उपदेश दिया।इनके उपदेश सारी मानव जाति के लिए उपयोगी है। गुरु जी 1539 ईस्वी को ज्योति जोत समा गये ।