संज्ञा व उसके भेद उदाहरण सहित (PPT का लिंक नीचे दिया है)
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साधारण शब्दों में ‘नाम’ को ही संज्ञा कहते हैं, जैसे ‘राम ने आगरा में ताजमहल की सुंदरता देखी।’ इस वाक्य में हम पाते हैं कि ‘राम’ एक व्यक्ति का नाम है, आगरा स्थान का नाम है, ताजमहल एक वस्तु का नाम है तथा ‘सुंदरता’ एक गुण का नाम है। इस प्रकार ये चारों क्रमशः व्यक्ति, स्थान, वस्तु और भाव के नाम हैं। अतः ये चारों संज्ञाएँ हुई।
परिभाषा-‘किसी प्राणी, स्थान, वस्तु तथा भाव के नाम का बोध करानेवाले शब्द संज्ञा कहलाते हैं।’
संज्ञा के भेद-
संज्ञा के मुख्य रूप से तीन भेद हैं-
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. जातिवाचक संज्ञा
3. भाववाचक संज्ञा
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा- जिस संज्ञा शब्द से एक ही व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे ‘व्यक्तिवाचक संज्ञा’ कहते हैं। व्यक्तिवाचक संज्ञा, ‘विशेष’ का बोध कराती है ‘सामान्य’ का नहीं।
प्रायः व्यक्तिवाचक संज्ञा में व्यक्तियों, देशों, शहरों, नदियों, पर्वतों, त्योहारों, पुस्तकों, दिशाओं, समाचार- पत्रों, दिनों, महीनों आदि के नाम आते हैं।
2. जातिवाचक संज्ञा- जिस संज्ञा शब्द से किसी जाति (वर्ग) के संपूर्ण प्राणियों, वस्तुओं, स्थानोंआदि का बोध होता हो, उसे ‘जातिवाचक संज्ञा’ कहते हैं। गाय, आदमी, पुस्तक, नदी आदि शब्द अपनी पूरी जाति का बोध कराते हैं, इसलिए जातिवाचक संज्ञा कहलाते हैं। प्रायः जातिवाचक संज्ञा में वस्तुओं, पशु-पक्षियों, फल-फूल, धातुओं, व्यवसाय संबंधी व्यक्तियों, नगर, शहर, गाँव, परिवार, भीड़-जैसे समूहवाची शब्दों के नाम आते हैं।
3. भाववाचक संज्ञा-जिस संज्ञा शब्द से प्राणियों या वस्तुओं के गुण, धर्म, दशा, कार्य, मनोभाव आदि का बोध हो, उसे ‘भाववाचक संज्ञा’ कहते हैं। प्रायः गुण-दोष, अवस्था, व्यापार, अमूर्तभाव तथा क्रिया भाववाचक संज्ञा के अंतर्गत आते हैं।