निम्नलिखित मुहावरों /लोकोक्तियों का वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए-
- पत्थर दिल (कठोर दिल वाला) मोहन एक पत्थर दिल लड़का है। वह तुम्हारी भावनाओं को नहीं समझ सकता।
- रोगहीन (जिसे कोई बीमारी न हो) अस्पताल से आने के बाद मोहन अब पूरी तरह से रोगहीन है।
- थका-हारा (बहुत थका हुआ) किसान थका-हारा शाम को घर पहुँचा।
- नेक दिल (अच्छे हृदय वाला, दयावान) महात्मा गांधी जी एक नेक दिल इंसान थे।
- शुभ लक्षण (अच्छा संकेत) मंत्री का कुएँ में गिरना भी एक शुभ लक्षण था।
- मौत के घाट उतारना (मार देना) राजा ने अपने शत्रु को मौत के घाट उतार दिया।
- संकल्प पूरा करना (वादा पूरा करना) रावण को मारकर श्रीराम ने अपना संकल्प पूरा किया।
- प्राणों की खैर मनाना (अपनी जान का बचाव करना) राजा शूरसेन प्राणों की खैर मनाता हुआ महल से भाग निकला।
- मृत्यु-तुल्य जीवन बिताना (दु:खों और अभावों में जीवन जीना) गंभीर बीमारी के कारण राधा मृत्यु-तुल्य जीवन बिता रही है।
- जल भुनना (ईर्ष्या करना) हमें कभी दूसरों की प्रगति को देखकर जल भुनना नहीं चाहिए।
- प्राणों की रक्षा करना (जान बचाना) राम ने रक्तदान करके अपने दोस्त के प्राणों की रक्षा की।
- तुच्छ पड़ जाना (कमज़ोर पड़ जाना) रक्तदान करने से कोई भी मनुष्य तुच्छ नहीं पड़ता।
- प्राण हर लेना (जान ले लेना) गंभीर बीमारी ने राम के प्राण हर लिये।
- अपनी चपेट में लेना (अपनी पकड़ में लेना) करोना जैसी भयानक बीमारी लोगों को अपनी चपेट में लेती जा रही है।
- हाथ धो बैठना (खो देना) कितने रोगी प्रतिवर्ष केवल समय पर रक्त न मिलने के कारण ही प्राणों से अकारण हाथ धो बैठते हैं।
- आनाकानी करना (टालमटोल करना) जब मैंने राम से अपने उधार दिए हुए पैसे माँगे तो वह आनाकानी करने लगा।
- प्यार में डूबना (प्यार होना) मीरा कृष्ण के प्यार में डूब गई थी।
- पर कतरने (अधिकार कम करना) राम बहुत उछल रहा है, लगता है उसके पर कतरने ही पड़ेंगे ।
- जी खिल उठना (मन खुश होना) कक्षा में प्रथम आने का समाचार सुनकर मेरा जी खिल उठा ।
- आँखों में खटकना (बुरा लगना) काँटा सबकी आँखों में खटकता है।
- कसर होना (कमी होना) इतनी मेहनत करो कि कोई कसर बाकी न रहे ।
- गोद बिठाना (शरण में लेना) माँ ने अपने बच्चे को गोद में बिठा लिया ।
- सीस पर सोहना (सिर पर अच्छा लगना) कृष्ण के सिर पर मोर पंख सोह रहा है।
- हृदय अधीर होना (दिल बेचैन होना) माँ को बीमार देखकर मेरा हृदय अधीर हो गया।
- 25. शब्द कानों में गूँजना (बार-बार बात याद आना) बाबा भारती के शब्द डाकू के कानों में गूँजते रहे।
- हृदय पर साँप लोटना (ईर्ष्या होना) राम की नयी कार देखकर, शाम के हृदय पर साँप लोटने लगा।
- हाथ से छूटना (खो देना) अचानक लगाम बाबा के हाथ से छूट गई ।
- गले लिपट कर रोना (प्यार उमड़कर आना) बाबा भारती घोड़े के गले लिपट कर रोने लगे।
- दिल टूटना (हताश होना) घोड़े को खोकर बाबा जी का दिल टूट गया ।
- नेकी के आँसू बहाना (पश्चाताप करना) बाबा के शब्दों को सुनकर खड्ग सिंह नेकी के आँसू बहाने लगा।
- मुँह मोड़ना (रूठ जाना) गीता ने सीता से मुँह मोड़ रखा है।
- पीठ पर हाथ फेरना (प्यार से सहलाना) बाबा भारती भावुक हो कर घोड़े की पीठ पर हाथ फेरने लगे।
- मन मोह लेना (मन को आकर्षित करना) बाबा जी का घोड़ा सबका मन मोह लेता था।
- कीर्ति कानों तक पहुँचना (किसी के यश को सुनना) जल्द ही, बाबा जी के घोड़े की कीर्ति सब के कानों तक पहुँच गई।
- चाह खींच लाना (इच्छा से प्रभावित होना) खड्ग सिंह को घोड़े तक उसकी चाह खींच लाई।
- हृदय पर छवि अंकित हो जाना (मन में बस जाना) सीता की सुंदरता की छवि सब के हृदय पर अंकित गई।
- हृदय में हलचल होना (उत्सुक होना) परिणाम आने पर सबके हृदय में हलचल होने लगी।
- वायु वेग से उड़ना (बहुत तेज़ दौड़ना) सुलतान दौड़ते हुए ऐसा लगता था कि जैसे वायु वेग से उड़ रहा हो।
- आश्चर्य का ठिकाना न रहना (हैरान रह जाना) प्रथम आने का समाचार सुनकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
- तनकर बैठना (अकड़कर बैठना) वह तनकर घोड़े पर बैठ गया।
- छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना) भारतीय सैनिकों ने दुश्मन की सेना के छक्के छुड़ा दिए।
- जान देना (देश के लिए मरना) भगत सिंह ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी।
- सिर ऊँचा करना (यश बढ़ाना) कक्षा में पहले स्थान पर आकर राम ने अपने माता-पिता का सिर ऊँचा कर दिया।
- कान खड़े होना (सावधान होना) शेर की आवाज़ सुनकर शिकारी के कान खड़े हो गए।
- नाम रोशन करना (यश बढ़ाना) कक्षा में प्रथम आकर राम ने अपने माता-पिता का नाम रोशन कर दिया ।
- सिर उठाना (विरोध में उठना) अत्याचार के ख़िलाफ़ सभी को सिर उठाना चाहिए।
- दबदबा होना (रौब जमाना) हार्दिक का पूरी कक्षा पर दबदबा हो गया था।
- आस्तीन का साँप (कपटी मित्र) राम तो आस्तीन का साँप निकला।
- छठी का दूध याद आना (बहुत अधिक कठिनाई महसूस होना) गणित के प्रश्न हल करते-करते मुझे छठी का दूध याद आ गया ।
- बाल भी बाँका न होना (तनिक भी चोट न पहुँचना) माँ अपने बच्चे का बाल भी बाँका नहीं होने देती।
- गुनगुनाना (हल्की आवाज़ में कुछ गाना) धीरा लोकप्रिय गीत गुनगुना रहा था।
- मिज़ाज गर्म होना (गुस्से में होना) जब बच्चे माता-पिता का कहना नहीं मानते तो उनका मिज़ाज गर्म हो जाता है।
- मुँह के बल गिरना (चोट खाना) पत्थर से ठोकर लगने के कारण राकेश मुँह के बल गिरा।
- मंत्रमुग्ध होना (खो जाना) लता की मीठी आवाज़ ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
- लोहा लेना (युद्ध करना) भारतीय सैनिक दुश्मनों से अच्छी तरह लोहा लेना जानते हैं।
- सदा के लिए आँखें बंद करना (मर जाना) कल सुरेश के दादा जी सदा के लिए आँखें बंद कर गए ।
- पूर्णाहुति (यज्ञ की अंतिम आहुति) अशोक ने यज्ञ की आग में पूर्णाहुति डाली।
- तलवार फेंकना (कभी युद्ध ना करना) कलिंग के युद्ध के बाद अशोक ने तलवार फेंक दी।
- सिर काटना (मार देना) अशोक ने युद्ध में दुश्मनों के सिर काट दिए।
- सिर न झुकना (हार न मानना) देशभक्तों ने अंग्रेज़ों के सामने सिर नहीं झुकाया।
- सदावर्त (नित्य दिया जाने वाला दान) अशोक ने कहा कि उसकी करुणा का सदावर्त सबको मिलेगा ।
- साक्षात चंडी-सी दिखाई देना (निश्चित मृत्यु प्रदान करने वाली वीराँगना) युद्ध मे लक्ष्मीबाई साक्षात चंडी-सी दिखाई देती थी।
- मृत्यु की गोद में सो जाना (मर जाना) कल सुरेश के दादा जी मृत्यु की गोद में सो गए।
- मुख पर चिंता की छाया होना (परेशान होना) बच्चे की बीमारी के कारण माँ के मुख पर चिंता की छाया दिखाई दे रही थी।
- सिर से पैर तक दौड़ लगाना (खूब भागदौड़ करना) नौकरी पाने के लिए राम ने सिर से पैर तक दौड़ लगा दी।
- जीवन यात्रा का अंत होना (मृत्यु होना) दो वर्ष बाद गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत हो गया।
- आँसू टपकाना (रोना) माँ के डाँटते ही शीला की आँखों से आँसू टपकने गए।
- मज़ाक बनाना (हँसी उड़ाना) हमें किसी की विकलांगता पर उसका मज़ाक नहीं बनाना चाहिए।
- पीठ थपथपाना (शाबाशी देना) रमेश ने एक छोटे बच्चे को कुएँ में गिरने से बचाया तो सभी ने उसकी पीठ थपथपाई।