इस वर्ष मैंने अपने मित्रों के साथ मिलकर लोहड़ी का त्यौहार मनाया। प्रत्येक घर से सौ सौ- रुपए इकट्ठे किए ।तीन-चार दिन पहले ही लोहड़ी की तैयारियां शुरू कर दी। सभी ने कोई न कोई जिम्मेदारी ली। कुछ मित्र लकड़ियाँ और उपले खरीदने चले गए तो कुछ मित्र रेवड़ियाँ , गजक, मूंगफली खरीदने चले गए। मैंने सभी के लिए कॉफी का प्रबंध किया। लोहड़ी वाले दिन शाम को लकड़ियों का ढेर बनाकर उनमें अग्नि प्रज्वलित की गई। सभी ने जलती हुई लकड़ियों की परिक्रमा की तथा माथा टेका। चारों ओर एकता तथा भाईचारे का वातावरण बन गया था। हमने सभी को मूंगफली, गजक, रेवड़ी और कॉफी दी। इतने में ढोल वाले ने ढोल बजाना शुरू कर दिया। सभी लड़कों ने भंगड़ा डाला। मोहल्ले के लोग हमारे द्वारा किए गए प्रबंध से बहुत खुश थे। हमें लोगों ने अगले वर्ष फिर इसी तरह लोहड़ी मनाने के लिए आग्रह किया। इस तरह सभी हँसी-खुशी अपने अपने घरों को लौट आए। सचमुच मुझे अपने मोहल्ले के सभी लोगों द्वारा एक साथ मिलकर लोहड़ी मनाना आज भी याद है।
तैयारकर्ता: डॉ० सुमन सचदेवा, हिंदी मिस्ट्रेस, सरकारी हाई स्कूल, मंडी हरजी राम (लड़के) मलोट, ज़िला श्रीमुक्तसर साहिब