पाठ 10 रब्बा मींह दे-पानी दे
कविता की प्रसंग सहित व्याख्या
रब्बा मींह दे-पानी दे, पानी दे।
लू से झुलसी धरती को, इक नई ज़िन्दगानी दे।।
पानी से खेतों में सोना, नाचे गेहूँ-गाए झोना।
पानी है तो सब है दूना, बिन पानी कत्था क्या चूना।
पानी है तो है जिन्दगानी, पानी खत्म तो खत्म कहानी।
जीवन की किश्ती को, आकर नई रवानी दे
रब्बा मींह दे ………………………………………
प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें-8’ में संकलित विनोद शर्मा द्वारा रचित कविता ‘रब्बा मींह दे-पानी दे’ में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने वर्षा के महत्त्व के बारे में बताया है।
व्याख्या- इसमें कवि ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ कहता है कि हे परमात्मा! हमें वर्षा करके पानी प्रदान करो। हे परमात्मा जब तुम वर्षा करोगे तो सूर्य से तपती गर्मी अथवा लू से झुलसी धरती को राहत ही नहीं मिलेगी, अपितु उसे एक नया जीवन भी मिल जाएगा। वर्षा के पानी से फसलें सोने के समान कीमती बन जाएंगी। वर्षा के पानी से गेहूँ तथा चावल-झोने की फसलें नाचने-गाने लगेंगी। वर्षा के पानी से पैदावार बढ़ जाएगी। बिन पानी के जैसे कत्थे और चूने का कोई महत्व नहीं रहता, वैसे ही बिन पानी फसल नहीं हो सकती। मनुष्य का जीवन तो पानी पर ही निर्भर होता है। यदि पानी न हो तो मनुष्य के जीवन की कहानी भी खत्म हो जाएगी। हे परमात्मा ! तू पानी देता रह तभी तो मनुष्य की जीवन रूपी किश्ती चल पाएगी। किश्ती तो पानी के सहारे ही चलती है, पानी ही उसे आगे ढकेलता है।
पानी से हरियाली होती-खेतों में खुशहाली होती।
क्या मवेशी क्या वन या बूटे-पानी बिन जीवन से छूटे।
आओ, पानी नष्ट करें न, प्रदूषित या व्यर्थ करें न।
मेरे देश के जन-जन को, यह सीख सुहानी दे।।
रब्बा मींह दे ………………………………………
प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें-8’ में संकलित, विनोद शर्मा द्वारा रचित कविता ‘रब्बा मींह दे-पानी’ दे में से लिया गया है। इसमें कवि ने पानी के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए, इसको सम्भालने का संदेश दिया है।
सरलार्थ- कवि कहता है कि पानी से ही हरियाली होती है और खेत भी तभी लहलहा
उठते हैं अर्थात खुशहाली आती है। पानी के बिना तो पशु, वृक्ष, पौधे आदि सभी का जीवन ही समाप्त हो जाएगा। जीवन का आधार पानी ही है। तभी तो कवि देश के लोगों को चेतावनी देता है कि उन्हें पानी को व्यर्थ में नष्ट नहीं करना चाहिए, न ही इसे गंदा करना चाहिए और न ही इसे फजूल में बहते रहने देना चाहिए। सभी को पानी का महत्त्व समझना चाहिए। परमात्मा! मेरे देश के सभी लोगों को पानी सम्भालने की सीख दो। हे परमात्मा! हमें वर्षा करके पानी प्रदान करो।
चाहे इसका रंग नहीं है- अपनी कोई उमंग नहीं है।
फिर भी यह जिसमें मिल जाता-उसके रंग में ही खिल जाता।
ग़म में आँखों में आ जाता और खुशी में यही रुलाता,
पर-दुःख को अपना समझे-हर आँख को पानी दे।
रब्बा मींह दे………………………………………….।
प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें-8 द्वितीय भाषा’ में संकलित, विनोद शर्मा द्वारा रचित कविता ‘रब्बा मींह दे-पानी दे’ में से लिया गया है। इस पद्यांश में कवि ने पानी की विशेषता के बारे में बताया है।
सरलार्थ- कवि कहता है कि भले ही पानी का अपना कोई रंग या उमंग नहीं होती, फिर भी पानी की सबसे बड़ी विशेषता यही होती है कि वह जिसमें भी मिल जाता है, उसी रंग का हो जाता है। आँखों में छलकने वाला पानी भी बहुत कमाल दिखाता है। मनुष्य दुःखी हो तो आँखों से पानी आँसू बन कर बहने लगता है और जब व्यक्ति अत्यधिक खुशी में हो तो भी आँखों से बहने लगता हैं। कवि कहता है कि हमें दूसरों के दुःख में सम्मिलित होना चाहिए। हे परमात्मा! हमें वर्षा करके पानी प्रदान करो।
अभ्यास भाग हल सहित
1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:-
ਰੱਬਾ = रब्बा ਲੂ = लू
ਪਾਣੀ = पानी ਹਰਿਆਲੀ = हरियाली
ਕਿਸ਼ਤੀ = कश्ती ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਿਤ = प्रदूषित
2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा के शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें:-
ਝੋਨਾ = चावल की फसल ਫਜ਼ੂਲ = व्यर्थ
ਪਸ਼ੂ = मवेशी ਦੂਜਿਆਂ ਦਾ ਦੁੱਖ पर दु:ख
ਰੱਬਾ = परमात्मा ਸਿੱਖਿਆ = सीख
3. शब्दार्थ:-
रब्बा = प्रभु , परमात्मा मींह = वर्षा
दूना = दुगुना मवेशी = पशु
पर दुःख = दूसरों का दु:ख सीख = शिक्षा
4. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:-
(क) इस कविता में ईश्वर से क्या प्रार्थना की गई है?
उत्तर – इस कविता में ईश्वर से बारिश की प्रार्थना की गई है।
(ख) ‘खेतों में सोना’ का क्या अर्थ है?
उत्तर- ‘खेतों में सोना’ का अर्थ है- सोने जैसी कीमती फसल।
(ग) पानी के बिना मवेशी और खेतों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर– पानी के बिना मवेशी मर जाते हैं और फसलें सूख जाती हैं।
(घ) इस कविता में देश के प्रत्येक नागरिक को क्या सीख दी गई है?
उत्तर – इस कविता में देश के प्रत्येक नागरिक को सीख दी गई है कि पानी नष्ट, प्रदूषित या व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
(ङ) पानी का स्वभाव कैसा है?
उत्तर- पानी का अपना कोई रंग नहीं है। जिस रंग में वह मिल जाता है वैसा ही हो जाता है।
5. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:-
(क) ‘पानी से————- सुहानी दे’। कविता की इन पँक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियां हमारी हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आओ हिंदी सीखें-8’ में से ली गई हैं। कविता का नाम ‘रब्बा मींह दे-पानी दे’ है। कवि का नाम ‘विनोद शर्मा’ है। इन पँक्तियों में पानी का महत्व बताया है और प्रत्येक नागरिक को पानी बचाने की सीख दी गई है।
व्याख्या- कवि कहते हैं कि पानी ही है जिससे चारों और हरियाली होती है और खेतों में अच्छी फसल होती है। किसान खुशहाल होते हैं। पानी के बिना मवेशी मर जाते हैं। वन और बूटे सूख जाते हैं। हमें पानी नष्ट, प्रदूषित या व्यर्थ नहीं करना चाहिए। हे परमात्मा! मेरे देश के प्रत्येक नागरिक को ऐसी अच्छी सीख दो।
(ख) जीवन में पानी की आवश्यकता क्यों है? कविता के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर– पानी से ही खेतों में सोने जैसी फसल पैदा होती है। चारों ओर हरियाली होती है। बिना पानी के मवेशी मर जाते हैं। फसलें सूख जाती हैं। धरती पर पानी न हो तो जीवन संभव नहीं।
(ग) दूसरों के दु:ख में हम उनकी क्या सहायता कर सकते हैं ?
उत्तर- जिस तरह पानी का अपना कोई रंग नहीं होता। वह जिस रंग में मिलता है वैसा ही हो जाता है। उसी तरह हमें भी दूसरों के दु:ख को अपना दु:ख समझना चाहिए और दु:ख को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।
(घ) जहाँ पानी की अधिकता बाढ़ की स्थिति पैदा करती है वहीं पानी की कमी सूखे की स्थिति पैदा करती है। इन दोनों स्थितियों में मानव तथा प्रकृति प्रभावित होती है। इन दोनों स्थितियों में मानव तथा प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभाव पर पाँच-पाँच वाक्य लिखें ।
उत्तर– मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव:- फसलें खराब जाती हैं। जिससे अनाज की कमी हो जाती है। मानव जीवन पर संकट पैदा हो जाता है। तरह-तरह की बीमारियाँ फैल जाती हैं। म्वंव को सूखे अथवा बाढ़वाले स्थान से पलायन करना पड़ता है।
प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभावः-
वन नष्ट हो जाते हैं। जानवर मरने लगते हैं। धरती की उपजाऊ शक्ति कमज़ोर हो जाती है। जहाँ बाढ़ से जल दूषित हो जाता है वहीं सुखा पड़ने पर पानी गहरा चला जाता है।
6. पर्यायवाची शब्द लिखें:-
पानी = जल , नीर , आब
मींह = बरसात, वर्षा, बारिश
सीख = शिक्षा , ज्ञान ,
जन = लोग , मनुज, मनुष्य
दु:ख = पीड़ा , दर्द ,कष्ट
आँख = नयन , नेत्र , चक्षु
धरती = भूमि , धरा,भू
लेखन: कुलदीप सिंह हिंदी मास्टर, स.स.स.स. माहीनंगल, बठिंडा
संशोधन: डॉ.सुमन सचदेवा, हिंदी अध्यापिका, स.ह.स्कूल (लड़के), मंडी हरजीराम, मलोट