काल
(क) घोड़ा हिनहिनाया।
(ख) घोड़ा हिनहिना रहा है।
(ग) घोड़ा हिनहिनायेगा।
उपर्युक्त वाक्यों में ध्यान से क्रिया को पहचानिए। ध्यान दीजिए कि पहले वाक्य में क्रिया हो चुकी है (हिनहिनाया) दूसरे वाक्य में क्रिया हो रही है- (हिनहिना रहा है) तथा तीसरे वाक्य में क्रिया आने वाले समय में अभी होगी (हिनहिनायेगा)। दरअसल क्रिया से यह भी पता चलता है कि काम कब हुआ अर्थात् क्रिया होने का समय। इसे ही क्रिया का काल कहते हैं।
अतएव क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का ज्ञान हो, उसे ‘काल‘ कहते हैं।
(क) बाबा जी ने घोड़े को रोका।
(ख) खड्ग सिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था।
(ग) बाबा भारती सुलतान की पीठ पर सवार होकर घूमने जा रहे थे।
इन वाक्यों में ‘रोका’, ‘था’ तथा ‘जा रहे थे’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया का करना या होना बीते हुए समय में हुआ है।
अतः बीते समय को भूतकाल कहते हैं।
(क) अपाहिज घोड़े को दौड़ाए जा रहा है।
(ख) अपाहिज घोड़े को दौड़ाता है।
(ग) अपाहिज घोड़े को दौड़ाता होगा।
इन वाक्यों में ‘दौड़ाए जा रहा है’ , ‘दौड़ाता है’, तथा ‘दौड़ाता होगा’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया चल रहे समय अर्थात् वर्तमान काल में हो रही है।
अत: चल रहे समय को वर्तमान काल कहते हैं।
(क) बाबाजी, यह घोड़ा आपके पास न रहने दूँगा।
(ख) उसकी चाल तुम्हारा मन मोह लेगी।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘रहने दूँगा’ तथा ‘मोह लेगी’ क्रियाएँ हैं। इन क्रियाओं से भविष्य में कार्य के होने का पता चलता है अर्थात् अभी कार्य हुआ नहीं है।
अत: जब क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाता है, उसे भविष्यत् काल कहते हैं।
अत: आने वाले समय को वर्तमान काल कहते हैं।