जब मैं मॉल में शॉपिंग करने गयी (अनुच्छेद – कक्षा नौवीं)

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जब मैं मॉल में शॉपिंग करने गयी

                कुछ दिन पहले मुझे अपनी सखी से शहर में नये खुले शॉपिंग मॉल के बारे में पता चला। मेरी वहाँ जाने की उत्सुकता देखकर मेरे माता-पिता ने मुझे वहाँ शॉपिंग करवाने का प्रोग्राम बनाया। ज्यों ही हम मॉल पहुँचे तो हम उस भव्य इमारत को देखकर दंग रह गये। हमने अंदर प्रवेश करके देखा तो वहाँ कपड़े, जूते, खिलौने, आभूषण, कॉस्मैटिक्स, इलैक्ट्रॉनिक्स आदि उत्पादों के भारतीय व विदेशी ब्राँड एक ही छत के नीचे उपलब्ध थे। मुझे एक पार्टी ड्रैस खरीदनी थी तो वहाँ अलग-अलग ब्राँड की इतनी विभिन्नता थी कि मुझे चुनाव करना ही मुश्किल लग रहा था। फिर भी मैंने एक ड्रैस और सैंडिल खरीदे और मेरे पापा ने भी अपने लिए कपड़े खरीदे। स्वचालित सीढ़ियों के द्वारा एक मंज़िल से दूसरी मंज़िल तक जाने का आनन्द ही कुछ और था। जब हम वहाँ घूम-घूम कर थक गये तो वहाँ ‘फूड कोर्ट’ में गये और पसंदीदा खाना खाया। फिर मेरे भाई ने फिल्म देखने के लिए कहा और मॉल की ही ऊपरी मंज़िल में बने थियेटर में हमने फिल्म देखी और घर आ गये। सचमुच, मॉल की शॉपिंग करना रोमांचकारी था।

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