जल के प्रयोग में व्यावहारिकता (अनुच्छेद – कक्षा नौवीं)

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जल के प्रयोग में व्यावहारिकता

                            पानी प्रकृति की अनुपम सौगात है। इसका कोई विकल्प नहीं है। जीवन रक्षा के लिए हवा के बाद पानी ही सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व है। किंतु फिर भी हम पानी की बर्बादी दिल खोलकर करते हैं। नहाते समय नल से सीधे तौर पर न नहाकर बाल्टी में पानी भरकर मग से ज़रूरत के अनुसार जल लेकर नहाएँ। हाथ-पैर, मुँह साफ करते समय, कपड़े धोते समय, दाढ़ी बनाते समय, कार आदि धोते समय नल को लगातार खुला न छोड़ें। बाग बगीचे में लम्बी पाइप लगाकर पानी देने की अपेक्षा फव्वारे से पौधों को पानी दें। रसोई घर में सब्जियाँ, दालें आदि धोते समय पानी किफायत से बरतें। इसमें लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। जहाँ कहीं भी पानी की सप्लाई निश्चित समय के लिए की जाती है, वहाँ नल को खुला न छोड़ें । यदि पानी न भी आ रहा हो तो भी नल बंद ही रखें क्योंकि जब पानी की सप्लाई होगी और हम घर पर नहीं होंगे तो पानी व्यर्थ ही बह जाएगा। जहाँ कहीं सार्वजनिक स्थान पर पानी बह रहा हो तो उसकी फौरन नज़दीकी जल विभाग में शिकायत दर्ज करवाना अपना फर्ज़ समझें। नल खराब होने पर तत्काल प्लंबर को बुलाकर ठीक करवायें। अतः हमें जल का सदुपयोग करना चाहिए। जल के सम्बन्ध में केवल बातें करके, नारे लगाकर, सेमिनार आयोजित करके, सभाएँ करके ही नहीं, अपितु जल बचाने में स्वयं ही व्यावहारिक बन कर समझदारी दिखायें ।

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