मेरे जीवन का लक्ष्य (अनुच्छेद- कक्षा दसवीं)

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मेरे जीवन का लक्ष्य

               प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का कोई न कोई लक्ष्य अवश्य होता है। मैं अब दसवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैंने भी अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। मैं बड़ा होकर एक अध्यापक बनना चाहता हूँ। अध्यापक का समाज के विकास में बहुत बड़ा योगदान है। एक अध्यापक पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों को और भी बहुत कुछ सिखाता है। उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। वह उनकी प्रतिभा की पहचान करके सही दिशा में लगाता है। नैतिक मूल्यों की भी शिक्षा देता है। अनुशासन में रहना सिखाता है। समय का महत्व समझाता है। एक अध्यापक ही बच्चों को शिक्षा देकर उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, पायलट वैज्ञानिक व अन्य बड़े-बड़े पदों पर पहुँचाता है। मेरे मामा जी भी एक अध्यापक हैं। वह भी मुझे अक्सर प्रेरित करते रहते हैं। उनकी शिक्षा तथा अपनी मेहनत व लग्न से मैं अपने जीवन का लक्ष्य हासिल कर लूँगा।

लेखन:-सुमन सचदेवा, हिंदी मिस्ट्रैस, सरकारी हाई स्कूल, मंडी हरजी राम, मलोट।

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