मधुर वाणी-अनुच्छेद (कक्षा नौवीं)

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मधुर वाणी

             कबीरदास जी ने कहा है- ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय। औरन को सीतल करे, आपहुँ सीतल होय।। कबीर आगे लिखते हैं- कागा काको धन हरै, कोयल काको देत। मीठा शब्द सुनाय के, जग अपनी करि लेत। अर्थात् कौआ किसका धन चुराता है? और कोयल किसे कुछ देती है ? कौए की कर्कश आवाज़ सुनकर उसे सब उड़ा देते हैं और कोयल भी किसी को कुछ देती नहीं किंतु उसकी मधुर वाणी सबका मन मोह लेती है। अतः हमें हमेशा मधुर वचन बोलने चाहिए। कभी भी मुँह से किसी के प्रति अपशब्द नहीं निकालने चाहिए। जो कड़वा बोलता है उसे कोई भी पसंद नहीं करता है जबकि मधुर वाणी इंसान को सर्वप्रिय बना देती है। संस्कृत के प्रसिद्ध कवि भतृहरि ने भी मधुर वाणी को ही सच्चा आभूषण कहा है। अतः सभी मनुष्यों के लिए उचित है कि अपनी वाणी में मधुरता लाएँ।

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