श्रीमद भगवत गीता
कुरुक्षेत्र की (युद्ध/धूर्त)भूमि में श्रीकृष्ण ने जो उपदेश दिया था वह श्रीमद्भगवदगीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है
श्रीमद्भागवद् गीता अर्जुन के अलावा धृतराष्ट्र एवं संजय ने सुनी थी। अर्जुन से पहले गीता का परम पावन ज्ञान श्रीहरि ने सूर्यदेव को सुनाया था। श्रीमद्भागवद् गीता को किसने लिखा, यह प्रमाणिक रूप से स्पष्ट नहीं है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है। भागवत गीता का सार हमारे जीवन को एक पल में बदल सकता है। महाभारत काल में दिया गया गीता का उपदेश आज भी प्रासंगिक है। गीता का उपदेश समस्त जगत के लिए है। आइए जानते हैं गीता के कुछ सार।
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में बताया है कि कोई भी व्यक्ति कर्म नहीं छोड़ सकता। प्रकृति व्यक्ति को कर्म करने के लिए बाध्य करती है। जो व्यक्ति कर्म से बचना चाहता है वह ऊपर से तो कर्म छोड़ देता है पर मन ही मन उसमें डूबा रहता है। मनुष्य का स्वार्थ उसे नकारात्मकता की ओर धकेलता है। अगर इस जीवन में खुश रहना चाहते हैं तो स्वार्थ को कभी अपने पास आने मत दो। जो इंसान अपने नजरिए को सही प्रकार से इस्तेमाल नहीं करता है वह अंधकार में धंसता जाता है। मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है जैसा वो विश्वास करता है वैसा वह बन जाता है। जो मनुष्य मन को वश में कर लेता है, उसका मन ही उसका सबसे अच्छा मित्र बन जाता है। जो मनुष्य मन को वश में नहीं कर पाता है, उसके लिए वह मन ही उसका सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है।
- Shrimad Bhagwat Geeta Hindi-Sanskrit (Gorkhpur Press) (Download)
- Shrimad Bhagwat Geeta (Punjabi-Sanskrit Meanings) (Download)
- Shrimad Bhagvad Geeta (English-Exact Translation) (Download)