होली कब, क्यों और कैसे मनाई जाती है | Holi Kab Kyo or Kaise Manayi Jati Hai !!
होली भारत का एक प्रमुख त्योहार है । यह मौज-मस्ती व मनोरंजन का त्योहार है। सभी जन इसे बड़े ही उत्साह व सौहार्दपूर्वक मनाते हैं । यह त्योहार लोगों में प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करता है ।
Holi Kab Kyo or Kaise Manayi Jati Hai
होली कब मनाई जाती है –
Holi Kab Kyo or Kaise Manayi Jati Hai !!
होली का यह त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. साधारण भाषा में कहें तो यह त्यौहार हर वर्ष देसी तिथि अनुस्वर मार्च में मन्स्य्स जसने वाला त्यौहार है “holi kab kyo kaise manayi jati hai”.
होली क्यों मनाई जाती है – Holi Kyo Manayi Jati Hai
होली मनाने के पीछे कई प्राचीन प्रचलित प्रथायें हैं, किन्तु इन प्रथाओं में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और मानी प्रहलाद और होलिका की है.
होलिका और प्रहलाद की कथा:
प्राचीन काल में एक राजा हुआ करता था जो असुर और घमंडी था जिसका नाम हिरण्यकश्यप था. हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा के वरदान तथा अपनी शक्ति से मृत्युलोक पर विजय प्राप्त कर ली थी । इसी का हिरण्यकश्यप को घमंड हो गया था. वह प्रजा पर अत्याचार करने लगा और उनसे अपनी पूजा करवानी सुरु करदी थी. हिरण्यकश्यप का एक पुत्र भी था जिसका नाम प्रहलाद था. प्रहलाद सच्चा निर्दयी और भगवान् में अटूट विश्वास रखने वाला था. प्रहलाद भगवान् विष्णु की पूजा किया करता था. जैसे ही ये बात उसके पिता हिरण्यकश्यप को चली उसने अपने बेटे प्रहलाद को मारने का निर्णय लिया. उसने प्रहलाद को मारने के लिए बहुत से तरीके अपनाये लेकिन वह हर एक चाल में विफल हो गया. प्रहलाद का कुछ भी नहीं बिगाड़ सका. प्रहलाद की भक्ति और भी ज्यादा अटूट होती जा रही थी.
हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका सहारा लिया. उसने अपनी बहन होलिका को बोला कि प्रहलाद को गोद में बैठा कर आग में बैठ जाए. होलिका को आग में न जलने का वरदान था. इसी का फायदा उठाने के लिए हिरण्यकश्यप ने होलिका को प्रहलाद को लेकर आग में बैठने के लिए बोला. होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गयी. आग में होलिका तो जल कर राख हो गयी लेकिन प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हो सका. प्रहलाद भगवान् विष्णु का नाम जपे जा रहा था. इसलिए प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ. इसलिए प्रहलाद की याद में हर वर्ष होली का दहन किया जाता है. तभी से होली के त्यौहार की सुरुआत हुई.
होली को जलाने के लोग इकठ्ठा होते है और नाच गाकर होली में आग लगा देते है. होली जलती रहती है और लोग इसके चारों तरफ नाचते है और खुशियाँ मनाते है. होली की आग में लोग नई फसल की गेहूँ और जों की बालियों को सेकते हैं. कुछ जगह लोग गन्ना भी लाते है और उसे आग में भूनकर खाते हैं. इस दिन को होलिका दहन कहा जाता है. होली के दहन के साथ ही समाज की समस्त बुराई को समाप्त करने का प्रतीक भी माना जाता है.
होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है – Holi Kaise Manayi Jati Hai
होली का यह त्यौहार जब आता है साथ में खुशियों का भंडार लाता है. होली के दिन जैसे जैसे निकट आते है चहरे पर मुस्कान और भी ज्यादा देखने को मिलती है. इस दिन सभी लोग रंगों से खेलते है और खुशियाँ मनाते है. बच्चे गुब्बारों के साथ होली खेलते है एक दुसरे पर गुब्बारे फेंकते है. इस दिन सभी लोग अपनी पुरानी दुश्मनी और नाराजी भूलकर एक दुसरे से होली मिलती है और रंग लगाते हैं.
सभी लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलते है और होली की शुभकामनायें भी देते हैं. लोग एक दुसरे के घर होली मिलने जाते है घर वाले उनका स्वागत बड़े प्रेम के साथ करते हैं. उन्हें खाने के लिए गुजियाँ और अन्य पकवान देते हैं. होली का यह त्यौहार एक नयी उमंग और ख़ुशी लेकर आता है. जिसमे बच्चे पिचकारियों से खेलते है ये वाकई देखने में बड़ा ही प्यारा नजारा लगता है.
होली के त्यौहार पर मुख्य पकवान में गुजियाँ बनायीं जाती है. अन्य पकवान जैसे खीर, पूरी, पकोड़ियाँ, मिठाइयाँ आदि बनाये जाते है. भांग की पकोड़ियाँ बहुत पसंद की जाती है.
होली के रंग – Holi kab kyo kaise manayi jati hai
होली के इस त्यौहार पर होली के रंग का भी एक बड़ा महत्त्व है. होली के रंग पहले गुलाल रंग ज्यादा होते थे. जो त्वचा के लिए भी लाभकारी थे जिनका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं था. लेकिन आज के समय केमिकल वाले रंग बाजार में ज्यादा मिलते है जिनसे त्वचा को बहुत नुकसान होता है.
Holi Kab Kyo or Kaise Manayi Jati Hai !!
होली का त्यौहार ख़ुशी और प्रेम के साथ मनाओं. होली का त्यौहार अच्छाई का प्रतीक माना जाता है. इसलिए होली के त्यौहार पर अच्छे काम करें कोई गलत काम न करें. अपने दोस्तों और परिवार के साथ ख़ुशी से होली मनाये.
होली के इस त्यौहार को आप प्रेम के साथ मनाये. हमारी तरफ से आप सबको होली की ढेरों शुभकामनायें. इस पोस्ट को अपने दोस्तों को फेसबुक whatsapp पर शेयर करें.