जब मेरी माँ बीमार पड़ गयीं
जब भी मैं प्रात:काल सोकर उठता तो हमेशा माँ को रसोई घर में काम करते हुए देखता। एक दिन प्रातः मुझे पिता जी ने उठाया और माँ के बुखार के बारे में बताया। मैंने माँ का हाल पूछा तो माँ ने मुझे बिना चिंता किए स्कूल जाने के लिए कहा। मैंने देखा कि बीमारी के बावजूद भी माँ मेरे स्कूल बैग में टिफिन तैयार करके रख चुकी थीं। स्कूल पहुँचा तो देखा कि मैं पानी की बोतल और रूमाल तो घर पर ही भूल गया था क्योंकि माँ मुझे हमेशा जाते समय सभी चीजों की याद करवातीं। स्कूल से घर आया तो पिताजी ने बाज़ार से लाया खाना खिलाया जो केवल मिर्च मसालों से भरा था। मुझे ध्यान आया कि मैं रोज़ माँ के हाथ का खाना खाने में नख़रे दिखाता किंतु अब मुझे माँ के हाथ के बने खाने का स्वाद सताने लगा। संध्या के समय पिताजी ने दूध गरम करके दिया तो उसमें वे चीनी डालना ही भूल गये थे। मुझे आज सारा घर अस्त-व्यस्त लग रहा था। मुझे आज माँ की मदद लिये बिना ही होमवर्क करना पड़ा। रात को मैंने माँ के बताए अनुसार खिचड़ी बनायी। दवा असर दिखाने लगी और माँ का बुखार कुछ कम हो चुका था। मैंने भगवान से माँ के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और संकल्प किया कि मैं और घर के बाकी सदस्य भी घर के कामों को सीखकर माँ की मदद किया करेंगे। अगले दिन सोकर उठा तो माँ को पहले की ही तरह रसोई घर में पाया । घर फिर से माँ के खाने की खुशबू से महक उठा। भगवान करे ! माँ हमेशा स्वस्थ रहे ।