कक्षा 25 हिंदी – एकांकी: वापसी (लेखक: उदय शंकर भट्ट)

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कक्षा 12 हिंदी – एकांकी: वापसी (लेखक: उदय शंकर भट्ट)

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1 वापसीएकांकी का प्रमुख पात्र कौन है? स्पष्ट करते हुए उसका चरित्र चित्रण करें।

उत्तर:वापसीएकांकी के प्रमुख पात्र राय साहब प्रसन्न हैं। वे लगभग पैंतीस वर्ष तक बर्मा के रंगून में कमिश्नर के दफ्तर में सेवा करने के बाद रिटायर होकर बहुत-सा धन लेकर देश वापस आए थे। उनका चरित्र एक ऐसे समझदार व्यक्ति का है, जिसने अपनी बीमारी का बहाना करके अपने स्वार्थी संबंधियों की परीक्षा ली। इस परीक्षा में सफल होने पर उन्हें रिश्तों की असलियत मालूम हो गई, जिसके बाद उन्होंने वापस बर्मा जाने का निर्णय लिया।

प्रश्न 2 वापसीएकांकी का नामकरण कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट करें।

उत्तर:वापसीएकांकी का नामकरण पूर्णतः सार्थक है। यह नाम राय साहब के बर्मा से देश लौटने (वापसी) से जुड़ा है। यह वापसी ही पारिवारिक संबंधों के खोखलेपन और मानवीय मूल्यों के गिरते स्वरूप को दिखाती है। लेखक कहना चाहता है कि घर, परिवार, रिश्ते केवल तभी सार्थक होते हैं जब प्रेम निस्वार्थ हो; अन्यथा, वे केवल स्वार्थ पर आधारित होकर परिपूरक रूप धारण करते हैं। राय साहब की वापसी का कारण भी अंततः स्वार्थ के आधार पर संबंधों का टिका होना सिद्ध होता है।

प्रश्न 3 वापसीएकांकी से क्या शिक्षा मिलती है, अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: एकांकी वापसीसे यह शिक्षा मिलती है कि मानव स्वभाव स्वार्थी होता है और लोभ के कारण वह पारिवारिक संबंधों के महत्व को अनदेखा कर देता है। यह एकांकी सिखाती है कि यदि संबंधों का आधार केवल स्वार्थ हो, तो वे निरर्थक हो जाते हैं। राय साहब की परीक्षा बताती है कि रिश्तों की पहचान तभी होती है जब उन्हें स्वार्थ की कसौटी पर परखा जाए। हमें अपने मानवीय मूल्यों को नहीं गिरने देना चाहिए।

प्रश्न 4 निम्नलिखित का चरित्र चित्रण करें – क) सिद्धेश्वर ख) राय साहब

उत्तर 4 (क) सिद्धेश्वर राय साहब का पड़ोसी है। वह एकांकी का एकमात्र ऐसा पात्र है जो मानवीय मूल्यों की स्थापना करना चाहता है। जब राय साहब कष्ट में होते हैं, तो वह डॉक्टर को अवश्य दिखाने का सुझाव देता है जब तक सांस बाकी हो। वह उनकी आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य या गीता पाठ कराने का सुझाव भी देता है। वह संबंधियों द्वारा पैसे के लिए लड़ने को शर्म की बातकहकर निंदा करता है। उसका चरित्र नैतिक विवेक का प्रतीक है।

उत्तर 4 (ख) राय साहब एकांकी के मुख्य पात्र हैं, जिन्होंने बर्मा में लगभग पैंतीस वर्ष तक रंगून में कमिश्नर के दफ्तर में सेवा की और बहुत धन लेकर लौटे थे। वे दूरदर्शी और समझदार हैं। उन्होंने दिन-रात शराब पीने के कारण तबियत बिगड़ने का नाटक रचकर अपने संबंधियों की स्वार्थी प्रवृत्ति को परखने के लिए एक कठोर परीक्षा ली। इस परीक्षा में उन्हें पता चला कि दीनानाथ (भाई) और अंबिका (संबंधी) जैसे उनके संबंधी केवल पैसे के लोभी हैं। अंत में, वह स्वार्थी समाज से निराश होकर वापस बर्मा जाने का निश्चय करते हैं।

(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 5 वापसीएकांकी का सार लिखिए।

उत्तर: वापसी एकांकी का सारवापसीश्री उदय शंकर भट्ट द्वारा रचित एक सामाजिक एकांकी है, जो मानवीय संबंधों के खोखलेपन पर व्यंग्य करती है। राय साहब प्रसन्न, जो बर्मा में लगभग 35 वर्ष सेवा करने के बाद बहुत धन के साथ भारत लौटते हैं, अपने संबंधी दीनानाथ (भाई) और अंबिका (संबंधी) के यहाँ ठहरते हैं। उनका स्वास्थ्य गिर जाता है। जब राय साहब अचेत अवस्था में बीमार पड़ जाते हैं, तो रिश्तेदार डॉक्टर को बुलाने के बजाय, उनके मरने का नाटक करने लगते हैं। उनका सारा ध्यान राय साहब के केश बॉक्स की चाबी पर केंद्रित हो जाता है।

चाबी को हथियाने के लिए दीनानाथ और अंबिका आपस में झगड़ते, गाली-गलौज करते और मारपीट तक उतर आते हैं। पड़ोसी सिद्धेश्वर उन्हें मानवीय मूल्यों की याद दिलाता है और उनकी इस हरकत को शर्म की बातकहकर निंदा करता है। अंत में, राय साहब अचानक आँखें खोलकर सबको स्तब्ध कर देते हैं। वह बताते हैं कि यह उनकी परीक्षा थी, जिसमें स्वार्थी संबंधी पूरी तरह विफल रहे। राय साहब अपनी बेटी चंद्रिका और साली सरोजिनी को लेकर वापस बर्मा जाने का निर्णय लेते हैं, क्योंकि उन्हें पता चल गया कि उनके भाई भी कितने स्वार्थी हैं।

प्रश्न 6 वापसीएकांकी में श्री उदय शंकर भट्ट का मानवीय संबंधों के खोखलेपन पर एक व्यंग्य है, व्याख्या करें।

उत्तर:वापसीएकांकी मानवीय संबंधों के खोखलेपन और स्वार्थपरता पर एक सीधा और कड़वा व्यंग्य है, जिसके लेखक श्री उदय शंकर भट्ट हैं। एकांकी दर्शाती है कि लोभ के कारण रिश्तेदार आपसी संबंधों के महत्व को पूरी तरह अनदेखा कर देते हैं। राय साहब की वापसीही इस खोखलेपन को उजागर करने का माध्यम बनती है।

जब राय साहब को मृतप्राय समझ लिया जाता है, तब सेवा, प्रेम या सहानुभूति का स्थान केश बॉक्स की चाबी और संपत्ति हड़पने की होड़ ले लेती है। दीनानाथ और अंबिका जैसे संबंधी, जो राय साहब के कष्ट में होने पर भी पैसों के लिए हिंसक लड़ाई करने लगते हैं, यह सिद्ध करते हैं कि उनका रिश्ता केवल धन पर टिका था। अंबिका का यह कहना कि उन्होंने राय साहब को “नौकरों की तरह रखा” था, दिखाता है कि वे अपनी सेवा को भी धन पर अधिकार जताने का साधन मानते हैं। लेखक ने सिद्धेश्वर के माध्यम से इस व्यवहार को शर्म की बातकहकर निंदा की है। अंत में, राय साहब का यह जान लेना कि “कौन कितने पानी में है” और उनका वापस बर्मा जाना, इस बात की पुष्टि करता है कि भारत में उन्हें निस्वार्थ प्रेम नहीं, बल्कि केवल स्वार्थ का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 7 सिद्धेश्वर के चरित्र के द्वारा लेखक मानवीय मूल्यों की स्थापना करना चाहता है, कैसे?

उत्तर: लेखक उदय शंकर भट्ट, सिद्धेश्वर के चरित्र के माध्यम से एकांकी में मानवीय मूल्यों और नैतिक कर्तव्यों की स्थापना करना चाहते हैं। सिद्धेश्वर राय साहब का संबंधी नहीं, बल्कि एक पड़ोसी है। वह अकेला ऐसा पात्र है जो लोभ के दलदल से बाहर है और कर्तव्य की भावना से प्रेरित है।

जब राय साहब बीमार पड़ते हैं, तो स्वार्थी संबंधी डॉक्टर को बुलाने के बजाय, केश बॉक्स की चाबी हथियाने में व्यस्त हो जाते हैं। इस माहौल में, सिद्धेश्वर ही वह आवाज है जो सही मूल्यों की याद दिलाता है। वह कहता है कि इस समय सेवा करनी चाहिए और राय साहब की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य और गीता-पाठ की व्यवस्था करनी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण क्षण तब आता है जब वह संबंधियों को लड़ते हुए देखता है और कहता है कि एक प्राणी कष्ट में है, और लोग उसकी अवस्था से दुखी होना तो दूर, आपस में उसके पैसे के लिए लड़ रहे हैं। कितनी शर्म की बात है”। सिद्धेश्वर का यह कथन, मानवीय करुणा, सेवाभाव और नैतिक मूल्यों का प्रतीक है, जिसकी अपेक्षा लेखक समाज से करता है।

(ग) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 8 देखें कैश बॉक्स कैसे हथियाते हैं। खिलाएँ हम, रखें हम, प्यार करें हम, सेवा करें हम, दान पुण्य करें हम और माल ले जाएँ ये, जो उनके कुछ भी नहीं, नौकरों की तरह जिन्हें रखा, आज वे उनके संग बन गए।…”

प्रसंग: यह पंक्तियाँ श्री उदय शंकर भट्ट द्वारा रचित एकांकी वापसी से ली गई हैं, जो हिंदी पुस्तक 12′ में संकलित है। यह कथन राय साहब के संबंधी अंबिका द्वारा उस समय कहा गया है, जब केश बॉक्स की चाबी के लिए दीनानाथ और अंबिका के बीच संघर्ष चल रहा होता है और वह कृपानाथ तथा अन्य रिश्तेदारों पर कटाक्ष करता है जो संपत्ति पर अधिकार जताना चाहते हैं।

व्याख्या: अंबिका का यह कथन उसका घोर स्वार्थ और लोभ दर्शाता है। वह गुस्से में कह रहा है कि राय साहब की सेवा करने, उन्हें खिलाने-रखने, प्यार करने और दान-पुण्य जैसे सारे कर्तव्य तो उन्होंने ही पूरे किए हैं। इसलिए, उनके धन पर पहला अधिकार उनका है। वह उन लोगों (अन्य रिश्तेदारों) को कोस रहा है, जिन्हें वह राय साहब का कुछ भी नहीं मानता और कहता है कि राय साहब ने तो उन्हें नौकरों की तरह रखा था, फिर भी वे आज माल पर अपना हक जमाने आ गए हैं। यह संवाद यह उजागर करता है कि अंबिका के लिए सेवा, प्यार या दान-पुण्य सब धन हथियाने के साधन मात्र हैं।

प्रश्न 9 बड़े दुख की बात है। एक प्राणी कष्ट में है, और लोग उसकी अवस्था से दुखी होना तो दूर, आपस में उसके पैसे के लिए लड़ रहे हैं। कितनी शर्म की बात है।”

प्रसंग: यह मार्मिक पंक्तियाँ श्री उदय शंकर भट्ट द्वारा लिखित एकांकी वापसी से उद्धृत हैं, जो हिंदी पुस्तक 12′ में संकलित है। यह कथन राय साहब के पड़ोसी सिद्धेश्वर द्वारा तब कहा गया है, जब वह देखता है कि राय साहब के संबंधी (दीनानाथ, अंबिका, कृपानाथ) उनके जीवन पर ध्यान देने के बजाय केश-बॉक्स की संपत्ति के लिए आपस में लड़ रहे हैं।

व्याख्या: सिद्धेश्वर इन पंक्तियों के माध्यम से राय साहब के संबंधियों के अमानवीय व्यवहार पर गहरा दुःख और शर्म व्यक्त करता है। वह कहता है कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राय साहब (एक प्राणी) बिस्तर पर अचेत होकर कष्ट झेल रहे हैं। ऐसी स्थिति में संबंधियों का कर्तव्य था कि वे उनकी सेवा करते या कम से कम उनकी दशा पर दुखी होते। लेकिन इसके विपरीत, वे आपस में उनके पैसे के लिए लड़ रहे हैं। सिद्धेश्वर इस लालच भरी लड़ाई को कितनी शर्म की बात कहकर भर्त्सना करता है। ये पंक्तियाँ एकांकी में नैतिक मूल्यों के पतन को दर्शाती हैं, और सिद्धेश्वर का चरित्र मानवीय आदर्शों को स्थापित करता है।

प्रश्न 10 मैं मरा नहीं, अभी ज़िन्दा हूँ। तुम्हारी परीक्षा ली थी। आज मेरी आँखें खुल गई। मुझे मालूम हो गया, कौन कितने पानी में है। मैं तुम्हारा भाई भी नहीं। मैं वापिस बर्मा जाऊँगा।”

प्रसंग: यह निर्णायक पंक्तियाँ श्री उदय शंकर भट्ट कृत एकांकी वापसी के क्लाइमेक्स पर आती हैं, जो हिंदी पुस्तक 12′ में संकलित है। यह कथन एकांकी के मुख्य पात्र राय साहब द्वारा तब कहा गया है, जब उनके संबंधी उनकी मृत्यु को निश्चित मानकर संपत्ति के लिए हिंसक हो जाते हैं। राय साहब अचानक आँखें खोलकर अपनी बीमारी के नाटक का रहस्योद्घाटन करते हैं। व्याख्या: राय साहब इन पंक्तियों के माध्यम से अपने स्वार्थी रिश्तेदारों को चेतावनी देते हैं और उन्हें धिक्कारते हैं। वह स्पष्ट करते हैं कि उनकी बीमारी केवल संबंधों को परखने की एक परीक्षा थी, जिसमें उनके संबंधी पूरी तरह असफल रहे। राय साहब कहते हैं कि अब उनकी आँखें खुल गई हैं और उन्हें पता चल गया है कि उनके भाई (दीनानाथ) सहित अन्य संबंधी कितने स्वार्थी हैं और कौन कितने पानी में है। लोभीपन से आहत राय साहब कहते हैं कि वह अब उनके साथ एक पल भी नहीं रहेंगे और अपनी बेटी चंद्रिका व साली सरोजिनी को लेकर हमेशा के लिए वापस बर्मा चले जाएंगे। यह कथन स्वार्थ पर आधारित रिश्तों के टूटने और राय साहब की निराशा को दर्शाता है।

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