मेरा प्रिय अध्यापक
अध्यापक का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। हमारी माँ हमें जीवन देती है, लेकिन जीना सिखाने में सबसे बड़ा योगदान हमारे अध्यापक का होता है। कहा जाता है, गुरु के बिना गति नहीं होती । मेरे स्कूल में बहुत सारे अध्यापक हैं।सभी बहुत अच्छे और मेहनती हैं। मैं सभी का आदर करता हूँ, लेकिन उन सब में मुझे श्री राम कुमार जी सबसे अच्छे लगते हैं। वह मुझे हिंदी पढ़ाते हैं। उनके पढ़ाने का ढंग बहुत अच्छा है। वह एम.ए. , बी.एड. हैं। उनकी आयु 45 वर्ष है। उनके पढ़ाने का तरीका बहुत ही सरल है। उनके पढ़ाने के कारण व्याकरण जैसा कठिन विषय भी हमें बहुत सरल लगने लगा है।
वह उच्च विचारों वाले और सादा जीवन जीने वाले व्यक्ति हैं। वह हमेशा समय से पहले स्कूल आते हैं,और अक्सर ही छुट्टी के बाद भी कमजोर विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। वह किसी विद्यार्थी को पीटते नहीं बल्कि गलती होने पर भी प्यार से समझाते हैं।
वह एक अच्छे समाज सेविक हैं। उनके दिल में गरीब तथा कमजोर बच्चों के लिए विशेष स्थान है।वह हर तरह से उनकी सहायता करते हैं। पढ़ाई के अलावा स्कूल में पौधे लगाने,उनकी देखभाल करने, स्कूल की इमारत को सजाने संवारने तथा हर तरह से स्कूल तथा बच्चों की भलाई के काम करते रहते हैं। वह एक अच्छे खिलाड़ी भी हैं,और हमें खेलों के महत्व के बारे में समझाते हैं।
खाली समय में बच्चों को योगा प्राणायाम तथा ध्यान करवाते हैं। उनकी शिक्षा पर चलने वाले बच्चे अच्छे नागरिक बनते हैं। सभी अध्यापक तथा विद्यार्थी उनका बहुत सम्मान करते हैं। मुझे अपने प्रिय अध्यापक पर गर्व है।