मेरा प्रिय मित्र
मुकुल मेरा सबसे प्रिय मित्र है। उसका घर मेरे पास ही है। मैं प्रतिदिन उसके घर जाता हूं और उसके साथ खेलता और पढ़ता हूँ। उसके पिताजी अध्यापक हैं। उसके माता जी डॉक्टर हैं मुकुल के पिताजी हमारी पढ़ाई में बहुत मदद करते हैं ।
हमारी मित्रता लगभग 8 वर्ष पुरानी है। हमारी मित्रता में स्वार्थ की भावना दूर-दूर तक नहीं है। हम दोनों एक ही कक्षा में भी पढ़ते हैं।
मुकुल बहुत नम्र लड़का है। उसका उत्साह और आत्मविश्वास गजब का है। उसे मैंने किसी के साथ भी अभद्र स्वर में बातें करते नहीं देखा। खेल में हारकर भी वह उदास और दुखी नहीं होता है।
वह समय का बहुत पाबंद है। उसी ने मुझे समय का महत्व समझाया है। सच्चे मित्र की परीक्षा विपत्ति में होती है। मुकुल हमेशा मेरे घर-परिवार में होने वाले किसी भी कार्यक्रम में मेरा हाथ बंटाने के लिए तैयार रहता है। कहते हैं सच्चा मित्र ईश्वर का अमूल्य उपहार है। मुझे अपने इस दोस्त और हमारी दोस्ती पर गर्व है।