पाठ 21: मधुआ
लेखक: जयशंकर प्रसाद
(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें:
प्रश्न 1 ‘मधुआ‘ कहानी में लेखक ने एक बालक द्वारा शराबी के हृदय परिवर्तन का सुंदर चित्रण किया है। स्पष्ट करें।
उत्तर: कहानी में शराबी अपनी सारी कमाई शराब पर खर्च कर देता था। लेकिन जब शराबी की भेंट मधुआ से हुई और उसने मधुआ की भूख और सिसकियों को महसूस किया, तो उसके हृदय में परिवर्तन हुआ। मधुआ की वत्सलता की भावना के सामने शराबी की खुमारी हार गई। उसने शराब की बोतल खरीदने के बजाय मधुआ के लिए मिठाई और नमकीन खरीदी, और अंत में बच्चे को पालने के लिए मेहनत का काम करने निकल पड़ा।
प्रश्न 2 ‘मधुआ‘ कहानी का नामकरण कहाँ तक सार्थक है?
उत्तर: ‘मधुआ‘ कहानी का नामकरण पूर्णतः सार्थक है। मधुआ कहानी का केंद्रीय पात्र है और वही इस कथा में हृदय परिवर्तन का माध्यम बनता है। मधुआ की मासूमियत और उसके प्रति शराबी के मन में पैदा हुई स्नेह और ज़िम्मेदारी की भावना ही कथा को मद्यपान के कुप्रभावों से स्नेह द्वारा समाधान की ओर ले जाती है। उसका नाम ही कहानी के केंद्रीय विचार का द्योतक है।
प्रश्न 3 ‘मधुआ‘ कहानी द्वारा लेखक ने मद्य पान के कुप्रभावों को सामने रखते हुए दामिल और स्नेह द्वारा इस समस्या का अनूठा समाधान ढूँढा है – आपके इस विषय में क्या विचार है?
उत्तर: मेरा विचार है कि लेखक जयशंकर प्रसाद द्वारा प्रस्तुत समाधान अनूठा और यथार्थवादी है। शराबी जैसे व्यक्ति का हृदय परिवर्तन केवल दामिल (ममता) और स्नेह द्वारा संभव हुआ। शराबी तब सुधरता है जब उसे एक बच्चे को पालने की ज़िम्मेदारी मिलती है, जिसके कारण उसे शराब न पीने की सौगंध लेनी पड़ती है। यह दर्शाता है कि भावनात्मक जुड़ाव और कर्तव्य की भावना सामाजिक बुराई को दूर करने का स्थायी तरीका है।
(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें:
प्रश्न 4 ‘मधुआ‘ कहानी के आधार पर ‘मधुआ‘ का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर: मधुआ कहानी का केंद्रीय और सहायक पात्र है। वह ठाकुर साहब के जमादार लल्लू की डाँट और मार खाकर भूख से निढाल सिसकियाँ ले रहा था।
मधुआ का चरित्र भोलापन, स्नेह और निर्भरता का प्रतीक है। वह भूखा है, लेकिन शराबी के द्वारा बार–बार दूर जाने को कहने पर भी, वह उसके साथ दुख सहने को तैयार रहता है। वह अपने चुपचाप रोने (सिसकियों) और निरीहता के माध्यम से शराबी के हृदय में सोई हुई ममता और करुणा को जगाता है। वह अपनी भूख की परवाह न करके शराबी की मीन सहानुभूति को सहजता से स्वीकार कर लेता है। मधुआ ही वह मासूम प्रेरणास्रोत बनता है, जिसके कारण शराबी शराब छोड़कर एक मेहनती जीवन जीने की जिम्मेदारी लेता है। इस प्रकार, मधुआ की उपस्थिति शराबी को एक नए, मानवीय पथ पर अग्रसर करती है।
प्रश्न 5 ‘मधुआ‘ कहानी के आधार पर ‘शराबी‘ का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर: शराबी कहानी का वह पात्र है जो अत्यधिक दुर्व्यसनी, लापरवाह और पलायनवादी है। वह अपनी सारी कमाई शराब पर खर्च करता है और मानता है कि “मौज बहार की एक घड़ी, एक लम्बे दुःखपूर्ण जीवन से अच्छी है“। वह कहानियाँ सुनाकर पैसे कमाता है और अपनी खुमारी में मस्त रहता है।
हालांकि, शराबी के भीतर गहरी मानवीय संवेदना छिपी हुई है। मधुआ की मुलाकात उसके जीवन में निर्णायक मोड़ लाती है। मधुआ की सिसकियों को सुनकर उसकी आँखों पर बिजली का प्रकाश पड़ता है। शराबी, जो सात दिन पेट काटकर पीने की तैयारी कर रहा था, बोतल के पैसे से मधुआ के लिए मिठाई और पूड़ी खरीदता है। मधुआ के प्रति महसूस हुई ममता और जिम्मेदारी के कारण वह अंततः शराब न पीने की सौगंध लेता है और बच्चे को पालने के लिए काम पर निकलता है। उसका चरित्र दर्शाता है कि प्यार और जिम्मेदारी की भावना एक व्यक्ति को पतन के मार्ग से वापस लाकर सामाजिक जीवन में पुनर्स्थापित कर सकती है।
प्रश्न 6 ‘मधुआ‘ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट करें।
उत्तर: ‘मधुआ‘ कहानी का मूल उद्देश्य स्नेह, ममता और जिम्मेदारी की भावना की सर्वोच्च शक्ति को स्थापित करना है, जो सामाजिक समस्याओं के समाधान में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
लेखक जयशंकर प्रसाद इस कहानी के माध्यम से यह दर्शाना चाहते हैं कि मद्यपान (शराबखोरी) जैसी समस्याओं को केवल निषेध या दमन से हल नहीं किया जा सकता। शराबी जैसे पथभ्रष्ट और निराश व्यक्ति के हृदय परिवर्तन के लिए मानवीय भावनात्मक उत्प्रेरक की आवश्यकता होती है। मधुआ की उपस्थिति शराबी के हृदय में पितृत्व और कर्तव्य की भावना जगाती है। शराबी अपने व्यसन को त्यागकर काम पर निकलता है। इस प्रकार, लेखक यह संदेश देते हैं कि प्रेम और मानवीय दायित्व की भावना ही सामाजिक समस्याओं का स्थायी समाधान है।
(ग) सप्रसंग व्याख्या करें:
प्रश्न 7 “मौज बहार की एक घड़ी, एक लम्बे दुःखपूर्ण जीवन से अच्छी है। उसकी खुमारी में रूखे दिन काट लिए जा सकते हैं।“
प्रसंग: यह पंक्तियाँ जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित कहानी ‘मधुआ‘ से ली गई हैं, जो ‘हिंदी पुस्तक 12′ में संकलित है। यह कथन शराबी द्वारा तब कहा गया है, जब ठाकुर सरदार सिंह उससे पूछते हैं कि उसने सात दिन पेट काटकर अच्छा भोजन न करके पीने (शराब) की क्यों सोची।
व्याख्या: शराबी इन पंक्तियों के माध्यम से अपने पलायनवादी दर्शन और दुर्व्यसन को सही ठहराता है। वह मानता है कि उसके दुःखपूर्ण और कठिन जीवन की तुलना में शराब से उत्पन्न आनंद और मस्ती का एक क्षण (मौज बहार की एक घड़ी) कहीं अधिक मूल्यवान है। वह आगे कहता है कि इस क्षणिक नशे (खुमारी) के सहारे वह अपने जीवन के बाकी सूखे और रूखे दिन आसानी से बिता सकता है। यह संवाद शराबी की निराशावादी मानसिकता को दर्शाता है, जो जीवन की कड़वी सच्चाइयों से बचने के लिए नशे का सहारा लेता है।
प्रश्न 8 “सोचा था, आज सात दिन पर भर पेट पीकर सोऊँगा, लेकिन छोटा–सा रोना, पाजी, न जाने कहाँ से आ धमका।“
प्रसंग: यह पंक्तियाँ जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित कहानी ‘मधुआ‘ से ली गई हैं, जो ‘हिंदी पुस्तक 12′ में संकलित है। यह कथन शराबी अपने मन में तब सोचता है, जब मधुआ को मिठाई खिलाने और खुद भोजन करने के बाद सोने के लिए लेटा होता है, तभी बालक रोता हुआ दिखाई देता है।
व्याख्या: शराबी यहाँ निजी आराम में पड़े व्यवधान पर निराशा व्यक्त कर रहा है। उसने सात दिन तक भोजन के लिए पैसे बचाए थे, ताकि आज वह भर पेट शराब पीकर (जिसकी जगह उसने मिठाई ली) सो सके। वह मधुआ को ‘छोटा–सा रोना‘ और ‘पाजी‘ कहता है, क्योंकि मधुआ के आगमन ने उसकी आलसी और निश्चिंत ज़िंदगी की योजना को विफल कर दिया है। यह संवाद दर्शाता है कि शराबी के मन में ममता की भावना तो जागी है, लेकिन वह अभी भी अपनी पुरानी, लापरवाह दिनचर्या से चिपके रहना चाहता है।
प्रश्न 9 “बैठे–बैठाए यह हत्या कहाँ से लगनी पड़ी। अब तो शराब न पीने की भी सौगंध लेनी पड़ी।“
प्रसंग: यह पंक्तियाँ जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित कहानी ‘मधुआ‘ से ली गई हैं, जो ‘हिंदी पुस्तक 12′ में संकलित है। यह कथन कहानी के अंत में शराबी अपने मन में सोचता है, जब मधुआ को पालने और ज़िम्मेदारी उठाने के कारण उसे अपनी जीवनशैली बदलने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
व्याख्या: शराबी यहाँ आत्म–संवाद करते हुए मधुआ की जिम्मेदारी को एक अनावश्यक और भारी बोझ (‘हत्या‘) के रूप में देखता है, जो उसे अनायास ही मिल गया है। वह अपनी पुरानी आलसी और व्यसनी ज़िंदगी छोड़कर, अब एक नया जीवन शुरू करने के लिए विवश है। सबसे बड़ी मजबूरी यह है कि उसे मधुआ के पालन–पोषण के लिए, अपनी सबसे प्रिय वस्तु शराब न पीने की कठोर शपथ (सौगंध) लेनी पड़ी है। यह संवाद दर्शाता है कि प्रेम और कर्तव्य की भावना ने शराबी के लिए एक नए और कठिन मार्ग का निर्धारण कर दिया है, जिससे उसका पलायनवादी जीवन पूरी तरह समाप्त हो गया है।